आगे कुआं पीछे खाई! दलदल में फंसे दल से दिल तोड़ने वाले नेताजी; अब पार्टी ने खड़ी कर दीं बड़ी मुश्किलें
देशभर में लोकसभा चुनाव खत्म हो गया है। अब झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में सभी दलें अपनी तैयारियों में जुटे गए हैं। वहीं लोकसभा चुनाव में मोहभंग कर पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की परेशानी बढ़ गई है क्योंकि पार्टी की ओर अब उनके ऊपर कार्रवाई का दौर शुरू कर दिया गया है। कइयों को नोटिस भेजा गया है।
प्रदीप सिंह, रांची। बेहतर राजनीतिक भविष्य के लिए किसी भी चुनाव के पूर्व नेताओं का पार्टी बदलने का प्रचलन पुराना है। ऐसे में मनमुताबिक परिणाम नहीं आने से कुछ लोग हाशिये पर भी चले जाते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी राज्य में ऐसा देखने को मिला।
दलीय प्रतिबद्धता का त्याग करते हुए कुछ माननीयों ने किस्मत आजमाया, लेकिन मतदाताओं का साथ नहीं मिलने से इनके समक्ष अब आगे कुंआ, पीछे खाई वाली स्थिति है। इनकी विधायकी खतरे में पड़ गई है। कुछ ऐसा ही हाल दलीय अनुशासन से अलग जाकर निर्णय लेने वालों का भी है। वे भी कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं।
ऐसी परिस्थिति में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित होकर दल-बदल की कार्रवाई से गुजरना पड़ेगा। दल-बदल कानून के तहत इनकी विधायकी पर तलवार लटक रही है।
लोबिन हेम्ब्रम पर शिबू सोरेन ने की दल-बदल की शिकायत
बोरियो के झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक लोबिन हेम्ब्रम अनुशासनहीनता के कारण कार्रवाई की जद में आने वालों में शुमार हैं। उनके खिलाफ झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने विधानसभा अध्यक्ष से दल-बदल की शिकायत की है।
लोबिन हेम्ब्रम ने राजमहल से झामुमो के घोषित प्रत्याशी विजय कुमार हांसदा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अब उन्हें दल-बदल के आरोपों के संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष को जवाब देना होगा। उन्हें नोटिस भेजकर पांच जुलाई तक स्पष्टीकरण मांगा गया है। कतार में बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा भी हैं।
उन्होंने लोहरदगा से गठबंधन के घोषित प्रत्याशी सुखदेव भगत के विरुद्ध चुनाव लड़ा। चमरा लिंडा पर भी कड़ी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
जेपी पटेल ने नहीं दिया इस्तीफा
लोकसभा चुनाव के पूर्व मांडू से भाजपा के विधायक जेपी पटेल कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस ने उन्हें हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाया। पराजित होने के बाद उनकी विधायकी खतरे में है।
दल बदलने के बाद ही भाजपा ने उनके विरुद्ध दल-बदल कानून के तहत स्पीकर के समक्ष शिकायत दर्ज कराया था। उनसे भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
सीता सोरेन ने छोड़ दी विधायकी
लोकसभा चुनाव के दौरान झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया। वह जामा की विधायक थीं। सीता सोरेन को भी दुमका संसदीय सीट से हार का सामना करना पड़ा। उनके इस्तीफे को लेकर भी स्पष्टता नहीं थी। उन्होंने अधिकृत ई-मेल आइडी से इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित नहीं किया था।
ऐसे में लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद दोबारा विधानसभा सचिवालय ने उनसे संपर्क किया। उन्हें अधिकृत ई-मेल आइडी या प्रतिनिधि के जरिए इस्तीफा प्रेषित करने को कहा गया। उन्होंने विधिवत इस संबंध में विधानसभा सचिवालय से पत्राचार किया। उनका इस्तीफा स्वीकृत हो चुका है।
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