New Criminal Laws: नए कानून के मुताबिक हर हाल में मानना होगा पुलिस का ये आदेश, उल्लंघन करने पर गिरफ्तारी का भी नियम
1 जुलाई यानी बीते सोमवार से पूरे देश में तीन नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) भारतीय न्याय संहिता (भारतीय न्याय संहिता) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू होने के बाद कई बदलाव किए गए हैं। ऐसे में अगर पुलिस किसी व्यक्ति को विधिपूर्वक आदेश देती है तो उसे उस व्यक्ति को हर हाल में ये आदेश मानना होगा। अथवा पुलिस उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
राज्य ब्यूरो, रांची। पूरे देश में सोमवार से तीन नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय न्याय संहिता (भारतीय न्याय संहिता) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया है। नए कानून में कई नए बदलाव किए गए हैं।
कुछ अपराधों में सख्ती तो कहीं न्याय की लंबी प्रक्रिया को छोटा किया गया है। इन्हीं कानूनों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 172 भी है।
इसके तहत पुलिस अगर किसी व्यक्ति को विधिपूर्वक आदेश देती है तो उसे उस व्यक्ति को हर हाल में मानना होगा। अगर वह उस आदेश को नहीं मानता है तो पुलिस इस कानून के तहत उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
बीएनएसएस की धारा 107 में क्या है प्राविधान?
इसी प्रकार बीएनएसएस की धारा 107 में यह प्रविधान है कि अनुसंधानकर्ता को अनुसंधान में यह पता चलता है कि आपराधिक कृत्य से उस अपराधी ने संपत्ति अर्जित की है। इसके बाद वह अनुसंधानकर्ता एसपी से अनुमति लेकर न्यायालय को लिखेगा कि उक्त संपत्ति आपराधिक कृत्य से अर्जित की गई है।
न्यायालय आरोपित को अपना पक्ष रखने का मौका देगा। आरोपित के तर्क से न्यायालय अगर संतुष्ट नहीं हुआ तो न्यायालय सरकार को आदेश देगा कि उक्त संपत्ति जब्त कर पीड़ितों में बांट दी जाए। अगर पीड़ित स्पष्ट नहीं हैं तो सरकार उसे सरकारी संपत्ति के रूप में जब्त कर लेगी।
बीएनएसएस की धारा 105 में यह प्रविधान है कि किसी भी संपत्ति की जब्ती आडियो-वीडियो के साथ होगी। पुलिस अपने ढंग से कोई भी जब्ती नहीं करेगी। इलेक्ट्रानिक साक्ष्य का होना अनिवार्य होगा। इससे यह होगा कि पुलिस ज्यादती या फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएगी।
बीएनएसएस की धारा 173 (1) में ई-एफआइआर को परिभाषित किया गया है। इसके तहत ई-एफआइआर करने वाले को 72 घंटे के भीतर अपना बयान देना होगा। पुलिस पीड़ित का बयान लेगी। इसके बाद ही यानी 72 घंटे के भीतर ई-एफआइआर सामान्य प्राथमिकी में तब्दील होगा। अगर 72 घंटे के भीतर ई-एफआइआर कराने वाले का पता नहीं चलता है और उनका बयान नहीं होता है तो वह ई-एफआइआर स्वत: रद हो जाएगा।
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