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NGT Action: झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव वाईके दास पर कार्रवाई का आदेश

Jharkhand News एनजीटी ने झारखंड सरकार को वाईके दास के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। उन पर एक कंपनी के पर्यावरणीय मुआवजे में छूट देने पर एनजीटी ने नाराजगी जताई है। कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Sat, 19 Nov 2022 09:28 PM (IST)
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Jharkhand Latest News: एनजीटी ने झारखंड प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव पर कार्रवाई का आदेश दिया।

रांची, राज्य ब्यूरो। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने एक कंपनी को पर्यावरणीय मुआवजा में छूट दिए जाने पर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Jharkhand State Pollution Control Board) के निर्णय पर हैरानी जताई है। ट्रिब्यूनल ने पर्यावरणीय कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने के लिए बोर्ड से सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश राज्य के मुख्य सचिव को दिया है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि सदस्य सचिव की ओर से ऐसा किया जाना कानून की उनकी पूर्ण अज्ञानता और अवहेलना को दर्शाती है।

एक माह में कार्रवाई रिपोर्ट भेजने का आदेश

ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव को उक्त आदेश सदस्य सचिव के वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में लगने का भी निर्देश दिया है। साथ ही मुख्य सचिव से एक माह में व्यक्तिगत रूप से सचिव के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। इस संबंध में ट्रिब्यूनल ने 13 सितंबर को आदेश पारित किया है। अभी तक एक्शन टेकेन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए मुख्य सचिव की ओर से ट्रिब्यूनल से समय की मांग की गई है। यह मामला ग्रीनलैंड वेस्ट मैनेजमेंट एंटरप्राइजेज कंपनी को मुआवजे में छूट से जुड़ा है।

कंपनी को मुआवजा मुक्त नहीं कर सकता बोर्ड

कंपनी ने कोरोना काल दौरान कंसेंट टू एस्टाब्लिश (सीटीई) और कंसेंट टू आपरेट (सीटीओ) के बिना काम किया। इसलिए कंपनी से पर्यावरण मुआवजा लिया जाना था। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस संबंध में निर्णय लेते हुए कहा कि अगर कंपनी 31 सितंबर तक सीटीई और सीटीओ के लिए आवेदन करती है, तो उससे पर्यावरणीय मुआवजा नहीं लिया जाएगा। ट्रिब्यूनल ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम में पर्यावरणीय मुआवजे के भुगतान से किसी कंपनी को बोर्ड कैसे मुक्त कर सकता है।

शपथ पत्र सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन

मामले में सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास की ओर से ट्रिब्यूनल में शपथ पत्र दाखिल किया था। ट्रिब्यूनल ने शपथ पत्र को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन माना है। साथ ही कहा है कि जब यूनिट बिना वैधानिक मंजूरी के काम कर रही थी तो पर्यावरणीय मुआवजे में छूट देना प्रथम दृष्टया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कंपनी के बीच मिलीभगत प्रतीत हो रहा है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि नियमानुसार पर्यावरणीय मुआवजा में छूट देने का अधिकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नहीं है। एक माह में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कंपनी से 14.10 लाख के मुआवजा वसूल करे।