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Nitish vs Modi: झारखंड में नीतीश का आपरेशन बीजेपी, जानिए क्या है बिहार सीएम की रणनीति

Jharkhand Politics झारखंड की राजनीति में पकड़ मजबूत बनाने के लिए नीतीश कुमार एक विशेष रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। यही वजह है कि झारखंड से खीरू महतो को राज्यसभा सदस्य बनाया है। आनेवाले दिनों में झारखंड में सक्रियता बढ़ाने की योजना है।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 07:23 PM (IST)
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CM Nitish Kumar: बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी।

रांची, {प्रदीप सिंह}। CM Nitish Kumar Bihar भाजपा से तालमेल समाप्त करने के बाद लगातार विरोधी दलों के नेताओं संग बेहतर समन्वय की कोशिश में लगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर झारखंड पर भी है। 14 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा को पीछे धकेलने के लिए वे आने वाले दिनों में पुख्ता तैयारी के साथ सक्रियता बढ़ा सकते हैं। इसी रणनीति के तहत उन्होंने आरसीपी सिंह के हटने के बाद खाली हुई राज्यसभा की सीट पर झारखंड से खीरू महतो को आगे करने की योजना बनाई थी। खीरू महतो विधायक रहे हैं और राज्यसभा सदस्य बनने के बाद लगातार सक्रिय भी हैं।

झारखंड भाजपा को बड़ा झटका देने की तैयारी

नीतीश कुमार ने उनके कंधे पर प्रदेश जद (यू) को फिर से खड़ा करने की जिम्मेदारी के साथ-साथ नए राजनीतिक साथियों की तलाश करना है। इसमें आजसू पार्टी जदयू की मददगार बन सकती है। राज्य के कुर्मी मतदाताओं पर आजसू पार्टी का प्रभाव जदयू को आकर्षित कर रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने की कोशिश में लगे नीतीश कुमार इसी जातीय समीकरण के बूते झारखंड में राजनीतिक उलटफेर कर भाजपा को झटका दे सकते हैं।

चंद्रप्रकाश चौधरी मिल चुके हैं नीतीश कुमार से

गिरिडीह से आजसू पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने हाल ही में पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की है। चंद्रप्रकाश चौधरी आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो के करीबी रिश्तेदार होने के साथ-साथ काफी विश्वस्त हैं। चौधरी उनकी राजनीतिक योजनाओं को धरातल पर उतारते हैं। हालांकि उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है, लेकिन इसके राजनीतिक मायने-मतलब निकाले जा रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव आते-आते राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए इसकी संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

पिछले चुनाव में स्वतंत्र रूप से लड़े थे सुदेश

इसके अलावा बिहार में सत्ता का समीकरण बदलने के साथ ही कांग्रेस और राजद से जदयू की नजदीकी बढ़ी है। इसका असर भी झारखंड पर पड़ने की पूरी संभावना है। ऐसे में राज्य में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत राजनीतिक गठबंधन तैयार हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के रुख से नाराज होकर आजसू पार्टी अध्यक्ष सुदेश महतो ने स्वतंत्र तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय किया था। इसका असर भी दिखा। वोटों का बंटवारा होने के कारण भाजपा को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा और झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन ने जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की।

झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा बना चुके सुदेश महतो

हालांकि, सुदेश महतो सहूलियत और नफा-नुकसान का आकलन कर राजनीतिक फैसले लेने में माहिर हैं। राज्य में एनडीए के साथ रहते हुए उन्होंने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पांच विधायकों को साथ लेकर झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा का गठन किया था। इस मोर्चा में आजसू के दो विधायकों (सुदेश महतो व लंबोदर महतो) समेत दो निर्दलीय विधायक (सरयू राय व अमित यादव) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक विधायक कमलेश कुमार सिंह शामिल हैं।

हाशिये पर चल रहे कुर्मी नेताओं को ले सकते हैं साथ

झारखंड में प्रभाव बढ़ाने के उद्देश्य से जदयू उन कुर्मी नेताओं को अपने साथ लाने की मुहिम को बढ़ा सकती है, जो अभी राजनीतिक हाशिये पर हैं। इसमें जमशेदपुर से सांसद रहे शैलेन्द्र महतो और उनकी पत्नी आभा महतो शामिल हैं। शैलेन्द्र महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापकों में हैं। उनकी पत्नी आभा महतो भाजपा की टिकट पर सांसद रही हैं। फिलहाल दोनों नेपथ्य में हैं। धनबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रभावी जलेश्वर महतो भी कारगर हो सकते हैं। जलेश्वर महतो फिलहाल कांग्रेस में हैं।