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Jharkhand Politics: बोर्ड और निगमों को लेकर झामुमो-कांग्रेस में मतभेद नहीं, सीट बंटवारे के साथ ही हो जाएगी डील

झारखंड में बोर्ड और निगमों को लेकर अब झामुमो-कांग्रेस में मतभेद नहीं है। सीटों के बंटवारे के साथ ही इस मुद्दे पर भी अंतिम बात हो जाएगी। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर दो दिनों के बाद नई दिल्ली से लौट आए हैं। उन्हें पार्टी ने चुनाव को लेकर बनी स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक के लिए बुलाया था। बैठक में आगे की रणनीति भी बनी है।

By Ashish Jha Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 15 Aug 2024 02:29 PM (IST)
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के सत्ताधारी गठबंधन में झामुमो और कांग्रेस एक साथ ही राज्य में शेष बचे बोर्ड एवं निगमों का बंटवारा करने पर सहमत हो गए हैं। इसमें राजद के कार्यकर्ताओं को सदस्य के रूप में जगह मिल सकती है। महागठबंधन के दोनों प्रमुख दलों के शीर्ष नेताओं की सहमति के बाद इसे मूर्त रूप दिया जाएगा।

झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग को लेकर यही प्रक्रिया चली है। इधर, महिला आयोग और समाज कल्याण बोर्ड जैसे संस्थानों के अध्यक्ष एवं सदस्यों का मनोनयन होना अभी बाकी है। दोनों में एक कांग्रेस और एक झामुमो के हिस्से में आना है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे के क्रम में ही इसपर निर्णय हो जाएगा।

दो दिनों बाद लौटे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर दो दिनों के बाद नई दिल्ली से लौट आए हैं। उन्हें पार्टी ने चुनाव को लेकर बनी स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक के लिए बुलाया था।

नई दिल्ली में आयोजित बैठक में आगे की रणनीति भी बनी है। उम्मीदवारों के चयन को लेकर भी आलाकमान ने अपनी प्राथमिकताएं प्रदेश अध्यक्ष को बता दी हैं।

बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा सहित 27 भाजपा नेताओं को राहत

झारखंड हाई कोर्ट से भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंजा, संजय सेठ सहित 27 को बड़ी राहत मिली है। सुनवाई के बाद अदालत ने इनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया है। वर्ष 2023 में सचिवालय मार्च के दौरान इन नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

प्राथमिकी निरस्त कराने के लिए सभी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। भाजपा की ओर से बिगड़ती कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के विरोध में मार्च का आयोजन किया गया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था और लाठीचार्ज भी किया था।

सचिवालय तक मार्च पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी और राज्य के पार्टी सांसदों के नेतृत्व में शुरू हुआ था। भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर बलपूर्वक आगे बढ़ने की कोशिश की थी, जिसपर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और प्राथमिकी दर्ज की थी।

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