Nomination Rules : छोटी सी चूक रद्द करा सकती है प्रत्याशियों का नामांकन, जानें क्या कहता है नियम
Nomination Rule लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी नामांकन करा रहे हैं। सूरत में हस्ताक्षर गलत होने के कारण कुंभानी का नामांकन रद्द किया गया। वहीं एनओसी नहीं देने पर देबाशीष धर का नामांकन रद्द किया गया। नीलेश कुंभानी सूरत सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और देबाशीष धर बंगाल की बीरभूम सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। इस घटना को लेकर चर्चा तेज है। जानें नियम क्या कहता है?
जागरण संवाददाता, रांची। Nomination Rule गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी और बंगाल की बीरभूम लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी देबाशीष धर का नामांकन रद्द हो चुका है। ये घटनाएं देशभर में चर्चा में हैं। ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि किन-किन त्रुटियों को लेकर चुनाव आयोग किसी उम्मीदवार का नामांकन पत्र रद्दकर सकता है।
सूरत में हस्ताक्षर गलत बताए जाने के कारण कुंभानी का नामांकन रद्द हुआ। वहीं, एनओसी नहीं देने के कारण देबाशीष धर का नामांकन रद्द हुआ। भारत निर्वाचन आयोग ने नामांकन भरने के नए नियमों में फॉर्म-26 में बड़े बदलाव किए है। नए नियमों के अनुसार अब प्रत्याशी से उसके इंटरनेट मीडिया हैंडल्स की भी जानकारी मांगी जाती है।
क्या कहता है नियम
इसके साथ ही साथ अब प्रत्याशियों से उनके नाम संपत्ति के ब्योरे समेत उनकी पत्नी और बच्चों के नाम संपत्ति का भी ब्योरा मांगा जाने लगा है। कोर्ट में चल रहे किसी केस या एफआइआर की भी जानकारी आयोग को देनी होती है। अगर, प्रत्याशी इनमे से किसी भी जानकारी में कोई तथ्य छुपाता है या जानकारी नहीं साझा करता है तो उसका नामांकन रद्द हो सकता है।चुनाव आयोग नामांकन पत्र के साथ गलत जानकारी साझा करने पर उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द कर चुनाव लड़ने से भी रोक सकता है। नामांकन पत्र में फॉर्म 26 काफी अहमियत रखता है, इसके रद्द होने की कई वजहें हो सकती है। कई बार प्रत्याशी चुनाव आयोग के साथ फॉर्म-26 में आवश्यक जानकारियां नहीं साझा करते हैं।इस सूरत में भी आयोग उमीदवार का नामांकन पत्र रद्द कर सकता है। कई बार तो उम्मीदवार के पास जरूरी संख्या में प्रस्तावक भी मौजूद नहीं होतें है तो कभी आरक्षित सीट पर प्रूफ न दे पाने के अभाव में भी नामांकन रद्द हो जाता है।
वैसे आमतौर पर नामांकन की आखिरी तारीख में समय रहने पर आयोग गलतियां सुधरने का भी मौका चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को देता है। नामांकन के दौरान प्रत्याशियों को नो-ड्यूज सर्टिफिकेट भी देना होता है। नो-ड्यूज सर्टिफिकेट न देने के कारण उम्मीदवारी रद्द हो सकती है।
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