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उम्मीदें 2024 : झारखंड में सखी मंडल दीदियों की बढ़ेगी संख्या, खूब पसंद किए जा रहे इनके 'पलाश ब्रांड' के उत्पाद

जोहार परियोजना के तहत 2024 में सखी मंडलों की संख्या बढ़ाई जाएगी। साथ ही इनके उत्पादों की संख्या बढ़ाते हुए उन्हें बाजार उपलब्ध कराने का काम किया जाएगा। प्रयास इस परियोजना के माध्यम से अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाओं को आजीविका का साधन उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाया जाएगा। राज्य सरकार ने इन सखी मंडलों के उत्पादों को पलाश ब्रांड से जोड़कर पहले से ही बाजार उपलब्ध करा रही है।

By Neeraj Ambastha Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 05 Jan 2024 11:56 PM (IST)
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झारखंड में सखी मंडल दीदियों की बढ़ेगी संख्या।
राज्य ब्यूरो, रांची। जोहार परियोजना के तहत वर्ष 2024 में सखी मंडलों की संख्या बढ़ाई जाएगी। साथ ही इनके उत्पादों की संख्या बढ़ाते हुए उन्हें बाजार उपलब्ध कराने का काम किया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाओं को आजीविका का साधन उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाया जाएगा।

राज्य सरकार ने इन सखी मंडलों के उत्पादों को पलाश ब्रांड से जोड़कर पहले से ही बाजार उपलब्ध करा रही है। इनके उत्पादों को काफी पसंद भी किया जा रहा है।

सखी मंडल की दीदियों द्वारा निर्मित एवं संग्रहित सरसों का तेल, चावल, आटा, दाल, मडुआ का आटा, लेमन ग्रास जैसे उत्पाद पहले से काफी पसंद किए जा रहे हैं। बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने का भी निर्णय लिया गया है।

30 हजार गांवाें में 2.78 लाख सखी मंडलों का गठन

पूरे राज्य के लगभग 30 हजार गांवाें में लगभग 2.78 लाख सखी मंडलों का गठन अबतक किया जा चुका है। इससे लगभग 33 लाख परिवार जुड़े हैं। राज्य के 2.69 लाख सखी मंडल को 418.31 करोड़ रुपये चक्रीय निधि के रूप में एवं 2.44 लाख सखी मंडल को 1296.42 करोड़ रुपये सामुदायिक निवेश निधि के रूप में उपलब्ध कराया गया है।

लगभग 2.26 लाख सखी मंडल को 6,511 करोड़ रुपये बैंकों से क्रेडिट लिंकेज के रुप में मिला है। राज्य संपोषित जोहार परियोजना के तहत 17 जिलों के 68 प्रखंड के 3,816 गांवों में 3,922 उत्पादक समूह एवं 20 उत्पादक कंपनियों का संचालन हो रहा है, जिसके तहत राज्य के करीब 2.24 लाख परिवारों की आय बढ़ोतरी होने की संभावना है।

महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के जरिए भी राज्य के 2.09 लाख परिवारों को लाह, रेशम, औषधीय पौधे की खेती, ईमली, कृषि एवं पशुपालन से जोड़ा गया है। वर्ष 2024 में इसकी संख्या तीन लाख परिवार तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

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