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वाइल्‍ड लाइफ प्रेमियों के लिए झारखंड बन रहा खास, राज्य में बढ़ रही है वन्यजीवों की संख्या, चार बाघ कर रहे भ्रमण

वाइल्‍ड लाइफ के शौकीनों के लिए एक अच्‍छी खबर यह है कि राज्य में वन्यजीवों की संख्या बढ़ रही है। राज्‍य के जंगलों में चार बाघ भ्रमण कर रहे हैं। इसके अलावा भेड़िया हिरण जैसे जानवरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पलामू टाइगर रिजर्व से लेकर हजारीबाग के जंगलों तक में बाघ जैसे दुर्लभ हो चुके जानवरों का विचरण हो रहा है।वाइल्‍

By Dibyanshu Kumar Edited By: Arijita Sen Updated: Tue, 19 Mar 2024 11:52 AM (IST)
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राज्य में बढ़ रही है वन्यजीवों की संख्या, चार बाघ कर रहे भ्रमण।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। लगभग 15 सालों के बाद राज्य के जंगलों में एक साथ चार बाघों के विचरण के संकेत मिले हैं। इसके अलावा भेड़िया, हिरण जैसे जानवरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। जंगलों तक से गायब हो रहे भेड़िए और लोमड़ी की तस्वीरें कैमरे में कैद हो रही हैं। खास बात यह है कि यह वृद्धि प्राकृतिक तरीके से हो रही है।

इस वजह से बढ़ी है जानवरों की संख्‍या

जंगलों में मानव-पशु संघर्ष कम हुआ है और इनके लिए आहार की उपलब्धता भी बढ़ी है। यही वजह है कि पलामू टाइगर रिजर्व से लेकर हजारीबाग के जंगलों तक में बाघ जैसे दुर्लभ हो चुके जानवरों का विचरण हो रहा है।

पलामू टाइगर रिजर्व में ही एकसाथ चार बाघों के पदचिन्ह मिले हैं। ये चिन्ह और इनसे जुड़ी अन्य सूचनाएं ताजा हैं, इसका मतलब है कि लंबे समय से इस संरक्षित पशु की मौजूदगी यहां है।

हिरणों की संख्या बढ़ने से आए बाघ

बेतला और इसके आसपास के जंगलों में वन विभाग ने हिरणों की संंख्या बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रयोग किए। एक रिजर्व क्षेत्र में इनका प्रजनन कराया गया और इसके बाद इन्हें बाहर छोड़ दिया गया। एक साथ चार बाघों की मौजूदगी के लिए इन हिरणों की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।

हिरण बाघों के प्राकृतिक भोजन हैं। वन विभाग के कैमरे में इनमें से कुछ बाघ ट्रैप भी हुए हैं। अब वन विभाग इस कोशिश में है कि पड़ोस के किसी जंगल से कोई मादा यानि बाघिन आ जाए तो पीटीआर में ही इनका प्राकृतिक प्रजनन भी हो सकेगा।

शून्य से हुए चार, अब रैंकिंग में भी सुधार

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ की संख्या शून्य हो गई थी। 50 साल पहले बने इस टाइगर रिजर्व के लिए यह अच्छी स्थिति नहीं थी। अब चार बाघ की मौजूदगी से इस टाइगर रिजर्व की रैंकिंग में सुधार होगी।

राजाजी नेशनल पार्क से जुड़े वन्यजीव विशेषज्ञ नवनीत कुमार ने बताया कि अगर बाहर से आए बाघ भी लंबे समय से टिके हुए हैं तो इसका मतलब है कि परिवेश उनके अनुकूल हो रहा है। बेतला में बाघों के विचरण और शिकार के लिए लंबे मैदान मौजूद हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि फिर से इस टाइगर रिजर्व का गौरव बहाल होगा।

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