आज भी आश्रम में महसूस होती है योगानंद की जीवन अनुभूति
योगी परमहंस योगानंद का 128वां जन्मोत्सव मंगलवार को योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के रांची समेत देशभर के सभी आश्रमों में आनलाइन मनाया गया।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 06 Jan 2021 05:34 AM (IST)
जागरण संवाददाता, रांची : योगी परमहंस योगानंद का 128वां जन्मोत्सव मंगलवार को योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के रांची समेत देशभर के सभी आश्रमों में आनलाइन मनाया गया। इस उत्सव से देश- विदेश के हजारों भक्त जुड़े। रांची में भजन और वेदमंत्रों के गायन के बाद प्रवचन हुआ। रांची आश्रम से वरिष्ठ सन्यासी स्वामी ईश्वरानंद आनलाइन कार्यक्रम में शामिल होकर साधकों को योग व अध्यात्म की शक्ति से परिचय कराया। उन्होंने कहा कि आज भी परमहंस योगानंद की जीवंत उपस्थिति महसूस होती है। वैसे तो गुरुदेव सर्वव्यापी हैं फिर भी आज के दिन उनसे समरस रहने वाले भक्त गुरुदेव से विशेष निकटता महसूस करते हैं।
आज से सौ साल पहले सन 1920 में परमहंस जी ने अमेरिका के अपने शिष्यों और छात्रों को क्रिया योग के प्रशिक्षण की जो शुरुआत की वह आज पूरी दुनिया में फैल चुका है। इससे पहले वे भारत में प्रशिक्षण प्रारंभ कर चुके थे। परमहंस योगानंद का जन्म पांच जनवरी 1893 को गोरखपुर में बंगाली परिवार हुआ था। उनका बचपन का नाम मुकुंद घोष था। ध्यान के दौरान अमेरिकी को देखा योगानंद भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी की स्थापना सन 1917 में ही कर चुके थे। उन्होंने सन 1920 में रांची आश्रम में ध्यान के दौरान अमेरिकी लोगों को देखा। उसके कुछ ही दिन बाद उन्हें अमेरिका के धार्मिक उदारवादियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि के रूप में भाग लेने के लिए बुलाया गया। वे गुरु के पास आज्ञा लेने गए तो गुरु स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि ने उन्हें कहा कि सभी दरवाजे तुम्हारे लिए खुले हैं। अभी नहीं गए तो कभी नहीं जा सकोगे। इसके बाद महावतार बाबा जी ने उन्हें अमेरिका जाने के लिए आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम ही वह हो जिसे मैंने पाश्चात्य जगत में क्रियायोग के प्रसार करने के लिए चुना है। कहा, सन 1894 में मैं तुम्हारे गुरु युक्तेश्वर से कुंभ मेले में मिला था और तभी मैंने उनसे कह दिया था कि मैं तुम्हें उनके पास शिक्षा ग्रहण के लिए भेज दूंगा। भक्ति, कर्म और ज्ञान तीनों का है समावेश योगानंद जी की शिक्षाओं में भक्ति योग, कर्म योग और ज्ञान योग तीनों का समावेश है। योगानंद जी की शिक्षा आधुनिक युग के लिए अमृत तुल्य हैं। उनके अनुसार आप योग प्रविधियों का अभ्यास कीजिए और स्वयं देखिए कि मेरी बातें कितनी सच हैं। परमहंस जी की शिक्षा ने असंख्य लोगों के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। यह चमत्कारी बदलाव योगदा सत्संग सोसाइटी/सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप के जरिए आज भी जारी है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।