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झारखंड में किन्‍नरों पर बढ़ेगी किचकिच, ट्रांसजेंडरों पर हेमंत सरकार की मेहरबानी से ओबीसी वर्ग नाराज

झारखंड सरकार ने किन्‍नरों को ओबीसी सूची के तहत आरक्षण देने का फैसला लिया है और साथ ही सरकार ने किन्‍नरों को एक हजार रुपये की राशि पेंशन के रूप में देने की भी बात कही है। इससे लेकर पिछड़े वर्ग के संगठनों में आक्रोश है। ओबीसी संगठन किन्नरों को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं है बल्कि उनकी नाराजगी किन्‍नरों को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की बात से है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 15 Sep 2023 09:34 AM (IST)
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झारखंड में ओबीसी कोटे से किन्नरों के लिए आरक्षण के फैसले पर हंगामा।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में ओबीसी कोटे से किन्नरों के लिए आरक्षण के फैसले पर इस वर्ग की राजनीति करने वाले संगठन आक्रोश में हैं। यह राजनीतिक विरोध राज्य सरकार के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है।

किन्‍नरों को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं ओबीसी

ओबीसी संगठन पहले से ही आरक्षण का कोटा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग करते रहे हैं। राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की अनुशंसा जरूर की, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली।

प्रस्ताव राजभवन से वापस लौट गया है। पिछले दिनों राज्य मंत्री परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के आलोक में किन्नरों को आरक्षण देने की मंजूरी दी थी। उन्हें एक हजार मासिक मानदेय देने का भी निर्णय किया गया था।

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ओबीसी संगठन किन्नरों को आरक्षण देने के विरुद्ध नहीं हैं, लेकिन उनकी आपत्ति ओबीसी कोटे से आरक्षण देने पर है। इन संगठनों का तर्क है कि अलग से अथवा अन्य वर्गों के कोटे से किन्नरों को आरक्षण दिया जा सकता है।

ऐसा नहीं होने पर राजनीतिक विरोध होगा। बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर बैठक के दौरान जातीय गणना का एजेंडा तय हुआ है।

झारखंड में भी हो सकती है जातीय गणना

निर्देश दिया गया है कि गैर भाजपा शासित राज्य इस दिशा में आगे बढ़ें। इससे संभव है कि राज्य में जातीय गणना कराने की दिशा में सरकार आगे बढ़ सकती है।

भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी ने जातीय गणना की पूर्व में ही वकालत की है। बिहार में जातीय गणना को लेकर राजनीति होती रही है। यह मामला अदालत की चौखट तक गया। ऐसे में गणना कराने के निर्णय के बाद राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर से मोर्चाबंदी करेंगे। 

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