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Jharkhand News : गर्मी में हुई सैकड़ों मौत, लेकिन सरकारी आंकड़े बता रहे कुछ और; आखिर क्या है वजह

भीषण गर्मी में राज्य में जहां तापमान 42-47 डिग्री तक पहुंच गया। वहीं इस दौरान दर्जनों लोगों की मौत भी हो गई। पलामू गढ़वा समेत प्रदेश के कई हिस्सों मे तपती गर्मी और लू की चपेट में आकर कइयों की जान चली गई। इस दौरान एक महीने में लू से पूरे प्रदेश में 100 से ज्यादा लोगों की मौत की खबरें सामने आती रहीं।

By Anuj tiwari Edited By: Shashank Shekhar Updated: Tue, 25 Jun 2024 11:58 AM (IST)
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Jharkhand News : गर्मी में हुई सैकड़ों मौत, लेकिन सरकारी आंकड़े बता रहे कुछ और
अनुज तिवारी, रांची। इस बार भीषण गर्मी में राज्य के विभिन्न हिस्सों में जहां तापमान 42 से 47 डिग्री तक पहुंच गया, वहीं दर्जनों लोगों की जान भी गई। पलामू, गढ़वा, धनबाद, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, गिरिडीह, देवघर समेत राज्य के कई इलाकों मे तेज धूप और लू के बीच काम करते हुए, राह चलते हुए या अलग-अलग गतिविधियों को अंजाम देने के दौरान लोगों की लू की चपेट में आकर जान चली गई।

धूप में लंबा सफर तय कर आने वाले कई ट्रक ड्राइवरों, खेतों में काम करने वाले मजदूरों तथा अलग-अलग कारणों से घर से बाहर लू की चपेट में आकर बुजुर्गों, महिलाओं व युवाओं ने दम तोड़ दिया। एक महीने के भीतर लू से राज्य में 100 से अधिक लोगों की मौत होने की खबरें अलग-अलग इलाकों से आती रहीं।

दूसरी ओर इन आंकड़ों से इतर सरकार के इंटिग्रेटेड हेल्थ इंफार्मेशन प्लेटफार्म (आइएचआइपी) पर लू लगने की वजह से सिर्फ नौ लोगों की मौत दर्ज की गई है। बता दें कि हीट स्ट्रोक से हुई मौत पर सरकार की ओर से कोई मुआवजा देने का भी प्रविधान नहीं है।

स्टेट एपिडेमियोलाजिस्ट ने क्या बताया

स्टेट एपिडेमियोलाजिस्ट डा. प्रवीण कर्ण ने बताया कि मार्च से लेकर जून तक कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें यह बताना मुश्किल था कि यह मौत लू लगने से हुई है या किसी अन्य कारण से। अधिकतर जगहों से यह बताया जा रहा था कि मौत लू लगने से हुई है, जबकि जो नियम है उसके मापदंड पर सभी दलीलें निराधार साबित हुईं।

उन्होंने बताया कि लू लगने की वजह इलाजरत व्यक्ति की मौत होने पर ही उसे गर्मी से हुई मौत का कारण माना जाता है। कई ऐसे शव अस्पताल में लाए गए और बताया गया कि गर्मी के कारण सड़क पर गिरने से उक्त व्यक्ति की मौत हो गई जो निराधार तर्क था।

इन जिलों में दर्ज की गई मौत लू लगने से जिन जिलों में मौत दर्ज की गई, उनमें जमशेदपुर में चार, रांची व चतरा में एक-एक तथा पलामू में तीन मौत की सूचना शामिल है। इन मरीजों में लू लगने के लक्षण पाए गए थे और इसी आधार पर इन्हें गर्मी से हुई मौत में शामिल किया गया। विभाग के अनुसार जो भी मौत होती है उसके इलाज की पूरी जांच की गई। इसके बाद इनकी रिपोर्ट आइएचआइपी में डाली गई।

लू लगने से 2400 मरीजों का हुआ इलाज

राज्य में लू लगने के बाद करीब 2400 मरीजों का इलाज हुआ। इनका आंकड़ा विभिन्न मेडिकल कालेजों व सरकारी अस्पतालों में दर्ज किया गया। इन रिपोर्ट में दिखाया गया कि इन मरीजों में से जिनकी मौत हुई उनकी संख्या नौ है। वहीं कई मरीज गंभीर हालत में रहते हुए भी स्वस्थ हो गए।

बाजार में हुई मौत को नहीं माना गया लू की वजह

इस गर्मी में पलामू में एक व्यक्ति बाजार में अचानक गिर गया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद वहां के सीएस ने इसे बढ़ती गर्मी के कारण हुई मौत बताया था। इस पर विभाग के वरीय अधिकारी ने सवाल उठाए और सीएस से पूछा कि वह कैसे जानते है कि इनकी मौत गर्मी से ही हुई थी।

इसके बाद बताया गया कि जबतक डाक्टर ऐसे मरीज का इलाज नहीं करते तबतक केवल अनुमान से गर्मी में हुई किसी भी मौत को लू से हुई मौत कहना गलत है।

संदिग्ध लू मरीजों के पहचान के क्या बने है नियम :

  • - सबसे पहले ऐसा कोई भी मरीज जिसके शरीर का तापमान 104 डिग्री से अधिक हो
  • - हाइपोथर्मिया के मरीज, जिसमें शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान सामान्य से कम हो जाता है
  • - डिहाइड्रेशन, उल्टी जैसे लक्षण
  • - अचेतन की अवस्था में मरीज का होना, किसी बात को समझ नहीं पाना
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