Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Padma Awards 2023:राष्ट्रपति ने जामुन सिंह सोय को पद्मश्री से किया सम्मानित,हो भाषा के लिए दशकों से कर रहे काम

Padma Awards 2023 घाटशिला निवासी डॉ. जानुम सिंह सोय ने बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से पद्मश्री सम्मान ग्रहण किया है। उन्हें यह सम्मान हो भाषा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए प्रदान किया गया है।

By Birendra Kumar OJhaEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 06 Apr 2023 12:53 AM (IST)
Hero Image
Padma Awards 2023: राष्ट्रपति से जानुम सिंह सोय ने ग्रहण किया पद्मश्री सम्मान।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। Padma Awards 2023: घाटशिला निवासी डॉ. जानुम सिंह सोय ने बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से पद्मश्री सम्मान ग्रहण किया है। इस पुरस्कार की घोषणा इसी साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुई थी। उन्हें यह सम्मान हो भाषा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए प्रदान किया गया है।

कोल्हान विश्वविद्यालय में रीडर के पद से हुए रिटायर

कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सोय का जन्म आठ अगस्त 1950 को पश्चिमी सिंहभूम जिला के तांतनगर के मातकोमहातु गांव में हुआ था। सोय कोल्हान विश्वविद्यालय में रीडर के पद से सेवानिवृत होने के बाद घाटशिला जाकर बस गये हैं।

जामुन सोय ने कहा, 'हो' समाज को लिए गर्व की बात

इस अवसर पर 72 वर्षीय डॉ. जानुम सिंह सोय ने कहा कि यह मेरे साथ-साथ 'हो' समाज के लिए भी गर्व की बात है। मैंने टाटा कॉलेज, चाईबासा से हिंदी ऑनर्स में 1971 में बीए उत्तीर्ण किया था। उसके बाद रांची विश्वविद्यालय से 1974 में एमए की पढ़ाई की। इसके बाद 1977 में बीएड किया था।

1991 से ही 'हो' लोकगीत के साहित्य एवं सांस्कृतिक अध्ययन  पर कर रहे शोध

उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 1991 में मैंने 'हो' लोकगीत का साहित्य एवं सांस्कृतिक अध्ययन पर शोध पूरा किया। एक जुलाई 1977 को मैंने घाटशिला कॉलेज में हिंदी विभागाध्यक्ष के पद पर योगदान दिया था। बाद में रीडर के पद पर प्रोन्नति मिली। सेवानिवृति के बाद भी हो भाषा के विकास पर काम कर रहा हूं।

अर्जुन मुंडा ने दी अवार्ड मिलने पर दी बधाई

केंद्रीय जनजातीय मामले मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि झारखंड के जानुम सिंह सोय को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं। डॉ. सोय को झारखंड की हो भाषा के संरक्षण व संवर्धन के लिए यह सम्मान मिला है। वह पिछले तीन दशक से अधिक समय से इस भाषा पर काम कर रहे हैं। सोय ने हो भाषा पर छह किताबें भी लिखी हैं।

— Arjun Munda (@MundaArjun) April 5, 2023
लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें