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Indian Railway: रांची रेल मंडल के 44 ट्रेनों के यात्रियों को मिलेगी राहत, हटेगा स्पेशल का टैग

Indian Railway रांची रेल मंडल के 44 ट्रेनों पर स्पेशल का टैग लगाया गया है। उनसे 30 फीसद अधिक किराया वसूला जा रहा है। लेकिन स्पेशल टैग हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्पेशल टैग हटने से यात्रियों को काफी राहत मिलेगी।

By Kanchan SinghEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 11:41 PM (IST)
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रांची रेल मंडल के 44 ट्रेनों पर स्पेशल का टैग लगाया गया है।

रांची, जासं । रांची रेल मंडल अंतर्गत विभिन्न स्टेशनों से 55 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। इनमें से 44 ट्रेनों पर स्पेशल का टैग लगाया गया है। यानि यात्रियों से समान दूरी और पिछले बार की तुलना में सुविधा कम होने के बावजूद उनसे 30 फीसद अधिक किराया वसूला जा रहा है। लेकिन स्पेशल टैग हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्पेशल टैग हटने से यात्रियों को काफी राहत मिलेगी।

मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें पुरानी व्यवस्था के अनुरूप चलेंगी। ट्रेनों के नाम से स्पेशल हट जाएगा एवं किराया भी सामान्य हो जाएगा। सामान्य दिनों की भांति ट्रेनों को संचालित करने के लिए रेलवे बोर्ड ने सभी महाप्रबंधकों को निर्देशित कर दिया है। डिप्टी डायरेक्टर कोचिंग राजेश कुमार ने जारी निर्देश में स्थिति सामान्य होने का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सभी श्रेणी की यात्री स्पेशल ट्रेनें नियमित नंबरों और पूर्व निर्धारित सामान्य किराये के आधार पर चलाई जाएंगी। इसके लिए जल्द ही गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।

ज्ञात हो कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेनों से स्पेशल टैग हटाने का बयान दिया था। अब रांची रेल मंडल अंतर्गत 44 ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों की जेब पर से  बोझ कम हो जाएगा है। पहले की तरह उन्हें भाड़ा देना होगा। देश भर में कोरोना काल में ट्रेनों के परिचालन का स्वरूप बदल दिया गया। ट्रेनों में यात्री सुविधाएं कम कर दी गईं। लेकिन भाड़ा बढ़ा दिया गया। रेलवे ने सामान्य ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन का नाम देकर भाड़ा काफी बढ़ा दिया है। स्पेशल ट्रेनों को लगातार एक्सटेंशन देकर चलाया जा रहा है। जिसमें स्लीपर क्लास में ढाई सौ के करीब, थर्ड एसी में सामान्य दर से 550 और सेकंड एसी में 750 रुपये तक अधिक बड़ा यात्रियों से वसूला जा रहा है। इसका सीधा बोझ यात्रियों की जेब पर पड़ रहा है।

पहले ट्रेन में एसी क्लास में बेडरोल और साथ ही खाने का इंतजाम किया जाता था। पर्दे भी लगे रहते थे। लेकिन अब ट्रेन में सफर करने से पहले बेडशीट और कंबल साथ ही खाने का प्रबंध घर पर ही करना पड़ता है। जहां कीमतें घटाने की जरूरत थी, वहीं रेलवे स्पेशल ट्रेन का नाम देकर भाड़ा यात्रियों से अधिक वसूल रहा है।लेकिन अब जल्द ही यात्रियों को राहत मिलनी शुरू हो जाएगी।

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