इस देसी फ्रिज की ओर खिंचे चले आ रहे लोग, सेहत के साथ शीतलता की भी है गारंटी; कीमत अधिकतम 400 रुपये
बदलते वक्त के साथ आगे बढ़ने के साथ-साथ हमारा रूझान फिर से पारंपरिक चीजों की ओर बढ़ रहा है। इसी तरह से गर्मियों में आजकल लोग फ्रिज के मुकाबले ठंडे पानी के लिए मिट्टी के बर्तनों का अधिक उपयोग कर रहे हैं। मिट्टी से बने ये बर्तन न केवल सेहतमंद हैं बल्कि किफायती भी हैं इसलिए इनकी डिमांड अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है।
संजय सुमन, रांची। गर्मी के दिनों में झुलसा देने वाली तेज धूप से जब धरती तपती है तो कंठ भी सूखता है। इस समय सूखते कंठ को सबसे प्रिय चीज यदि कोई है तो वह सिर्फ शीतल जल ही है। मिट्टी से बने बर्तनों में जल शीतल रहता है।
मिट्टी के बर्तनों की ओर खींचे आ रहे लोग
यह बात सही है कि आजकल बिजली से उपयोग होने वाले सामान में जल के साथ अन्य वस्तुएं भी ठंडी रहती हैं, लेकिन मिट्टी से बने बर्तनों की बात ही कुछ अलग है। और लोग इस बात को भलीभांति जानते भी हैं। तभी तो सड़क के किनारे बेचे जा रहे मिट्टी के बर्तनों को देखकर इधर से गुजरने वाले लोग स्वत: इसकी ओर खींचे चले आ रहे हैं। जिनके घरों में फ्रिज है वे भी आजकल मिट्टी के बर्तनों का उपयोग कर रहे हैं।
युवाओं में भी ट्रेंड कर रहा मिट्टी के बर्तन
शहर के डंगरा टोली, कांटाटोली, हरमू पुल, पुरानी रांची, मोरहाबादी, डोरंडा बाजार समेत कई अन्य जगहों पर मिट्टी से बने बर्तनों को खरीदने के लिए ज्यादातर छात्रों व युवाओं की भीड़ देखने को मिल रही है।इनमें अधिकतर युवा शहर के हास्टल या फिर लाज में रहने वाले हैं और उन्हें गर्मी से राहत के लिए शीतल पेयजल की आवश्यकता होती है।
मिट्टी बर्तन के दुकानदार ग्राहकों को पूरी गारंटी के साथ बर्तन दे रहे हैं कि घर जाने के बाद भी यदि लिकेज की समस्या रहती है तो 24 घंटे के अंदर बर्तन बदल दी जाएगी। ऐसे में आजकल मिट्टी से बने बर्तन शहर के युवाओं के बीच ट्रेंड में हैं।बता दें कि रांची में गुमला, भुरकुंडा, ओरमांझी का मायापुर, सिकिदरी, खूंटी रोड हरदाग से मिट्टी के सामान्य बर्तन जबकि डिस्पेंसर वाला घड़ा और सुराही सिल्लीगुड़ी से मंगाया जा रहा है। जिसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
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मिट्टी बर्तन लोगों को शीतलता की भी गारंटी देता है। इसलिए दुकानदार पहले से घड़ा में रखे पानी को पहले अपने ग्राहक को पिलाते हैं। जल की शीतलता अनुभव करने के बाद ही लोग इसे खरीदते हैं।पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही मोलभाव शुरू होता है। दुकानदार कहते हैं कि स्थानीय निर्मित घड़ा में ही मोलभाव करते हैं बाकी जो बर्तन सिलीगुड़ी या फिर अन्य जगहों से मंगाते हैं उन बर्तनों के लिए मोलभाव नहीं होता है।ये रही कीमत
- बड़ा घड़ा 30 लीटर - 250 रुपये प्रति पीस
- मीडियम घड़ा 20 लीटर - 170 और 200 रुपये प्रति पीस
- छोटा घड़ा 10 लीटर - 100 रुपये प्रति पीस
- सुराही 6 लीटर - 150 रुपये
- वाटर बोतल - 120 से 150 रुपये
डिस्पेंसर सेगमेंट
- बड़ा घड़ा 30 लीटर - 400 रुपये प्रति पीस
- मीडियम घड़ा 20 लीटर - 300 रुपये प्रति पीस
- छोटा घड़ा 10 लीटर - 200 रुपये प्रति पीस
- सुराही 6 लीटर - 250 रुपये