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रांची में बैठ इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के लोगों से चल रही थी ठगी, CID को लगी भनक तो हरकत में आई; सच्चाई सामने आते ही उड़े होश

सीआइडी के अधीन संचालित साइबर अपराध थाना पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर के माध्यम से जालसाजों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा किया है। रांची में सीआइडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि दो दिनों से चल रही छापेमारी में यह तथ्य पुष्ट हुआ कि जालसाजों ने यूनाइटेड किंगडम व आस्ट्रेलिया के तीन लाख से अधिक नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा का ठगी के लिए दुरुपयोग किया।

By Dilip Kumar Edited By: Shashank Shekhar Updated: Tue, 19 Mar 2024 06:46 PM (IST)
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कॉल सेंटर में छापामारी करती सीआईडी की टीम (फोटो सोर्स- जागरण)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड पुलिस की अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर के माध्यम से जालसाजों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा किया है।

रांची स्थित साइबर अपराध थाने में सीआइडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दो दिनों से चल रही इस छापेमारी में यह तथ्य पुष्ट हुआ है कि जालसाजों ने यूनाइटेड किंगडम व आस्ट्रेलिया के तीन लाख से अधिक नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा का ठगी के लिए दुरुपयोग किया।

उन्होंने कहा कि इस डेटा में फोन नंबर, नाम, पता, शहर व देश के पोस्ट कोड और उम्र शामिल हैं। जालसाजों ने इन नागरिकों को विदेशी खुफिया एजेंसी के नाम पर धमकाया, उनके विदेशी खाताओं से पैसे की निकासी की। विदेशी नागरिकों को फोन करने के लिए ये कॉलिंग सॉफ्टवेयर विकी डायल, आइबीम व स्काइप का प्रयोग करते थे। इनके पास से विदेशी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर जैसे ब्रिटिश टेलीकाम, विर्जिन मीडिया लिमिटेड, वोडाफोन लिमिटेड के सब्सक्राइबर का नाम, मोबाइल नंबर, पता व करियर सूचना पाया गया।

कॉल सेंटर के दो मुख्य संचालक गिरफ्तार

गिरफ्तार आरोपित

साइबर अपराध थाने की पुलिस ने अनुसंधान व सत्यापन के बाद कॉल सेंटर के दो मुख्य संचालक को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपितों में रांची के चुटिया थाना क्षेत्र के द्वारिकापुरी निवासी रविकांत व गोड्डा के चितरकोठी स्थित मोहम्मद एकरामुल शामिल हैं।

गिरफ्तार आरोपित

पुलिस ने उनके कॉल सेंटर में नौकरी पर रखे गए कर्मचारियों का सत्यापन किया और उनका बयान लिया। मौके से पुलिस ने पांच लैपटॉप, 27 कंप्यूटर सिस्टम व पेरिफेरल्स, चार पेन ड्राइव, एक मेमोरी कार्ड, तीन राउटर, 7 मोबाइल, काल सेंटर के कर्मचारियों की तीन उपस्थिति पंजी, 18 जाब लेटर, एक लीज एग्रिमेंट व एक रेंट एग्रिमेंट, तीन चेक बुक व पांच क्रेडिट कार्ड बरामद किया है।

जालसाजों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तक ऐसे पहुंची पुलिस

सीआइडी झारखंड को अपर बाजार स्थित किशोरगंज चौक में बीएम हाइट्स के तृतीय तल्ले पर एक कार्यालय खोलकर साइबर ठगी के लिए काल सेंटर चलाने की सूचना मिली। इस सूचना पर डीजी सीआइडी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर साइबर अपराध थाने के पुलिस अधिकारियों की एक टीम बनी, जिन्हें पूरे मामले के सत्यापन की जिम्मेदारी मिली।

जांच अधिकारियों ने पाया कि रांची में 2021-22 में एक गिरोह काल सेंटर चलाता था। उसके बाद ये काल सेंटर को गोरखपुर में शिफ्ट कर दिए थे। गोरखपुर वाले काल सेंटर से ये अपराधी यूनाइटेड किंगडम व आस्ट्रेलिया के नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करने के जुर्म में गिरफ्तार हुए।

उन्हीं लोगों में से कुछ लोग अब हरमू रोड रांची क्षेत्र में काल सेंटर चलाने लगे और यहां से भी यूनाइटेड किंगडम व आस्ट्रेलिया के नागरिकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे। सूचना के सत्यापन के लिए झारखंड सीआइडी ने साइबर सेल गोरखपुर व भारतीय अपराध समन्वय केंद्र से संपर्क किया।

गुप्त सूचना के सत्यापन के क्रम में पता चला कि दो लोग कादिर अंसारी व मोहम्मद एकरामुल अंसारी गोरखपुर से गिरफ्तार किए गए थे। वे जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद रांची के गौरव गुप्ता, विकास, सलोनी, वसीम व रविकांत के साथ मिलकर पिछले करीब एक साल से यूनाइटेड किंगडम व आस्ट्रेलिया के नागरिकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे।

रांची स्थित उक्त कॉल सेंटर में दो शिफ्ट में करीब 30 कर्मचारियों को इसी कार्य के लिए लगाया गया था। सीआइडी ने रांची स्थित उक्त काल सेंटर को सील करवा दिया है।

आस्ट्रेलियन टेलीकम्युनिकेशन कंपनी के अधिकारी करते थे संपर्क

सीआइडी ने जांच में पाया कि जालसाजी के लिए ये साइबर अपराधी आस्ट्रेलियन टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी टेल्स्ट्रा व ब्रिटिश टेलीकाम के अधिकारी बनकर इंटरनेट स्पीड को फिक्स करने व अपग्रेड करने के नाम पर विदेशी नागरिकों को फोन करते थे। ये फोन कर विभिन्न रिमोट एक्सेस साफ्टवेयर मुख्यत: एनी डेस्क, अवेरे रिमोट, आवसन लाइट, जोहो असिस्ट आदि विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर में इंस्टाल करते थे। इसके बाद वायरस पाए जाने व कुछ अवैध गतिविधियों को पाए जाने के लिए नेशनल फ्राड इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बनकर विदेशी नागरिकों को जबरन वसूली के लिए इमेल भेजते थे। उनके विदेशी खाताओं से पैसे विभिन्न विदेशी वालेट जैसे मोनेसे एप, यूके में ट्रांसफर कर देते थे।

विदेशी खुफिया एजेंसी के अधिकारी बनकर इन ईमेल का करते थे दुरुपयोग

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दूसरे देशों की तुलना में यूके व आस्ट्रेलिया का डेटा लेना था आसान

जालसाजों ने पुलिस को बताया कि दूसरे देशों की तुलना में यूके व आस्ट्रेलिया का डेटा लेना आसान था। डेटा के लिए इन्हें खर्च भी करना पड़ा। जालसाजों के विदेशी साथियों ने भी उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराईं। सीआइडी ने विदेशी बैंकों का डेटा आदि भी बरामद किया है, जिनकी जांच जारी है।

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