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फिर से थमेंगे ट्रेनों के पहिए: 20 सितंबर से शुरू होने जा रहा रेल रोको आंदोलन, TMC ने समर्थन देने से किया इंकार

कुड़मी समाज के लोग 20 सितंबर से फिर से रेल रोको आंदोलन करने जा रहे हैं। इसका प्रभाव झारखंड के साथ बंगाल और ओडिशा में भी दिखेगा। इसके लिए ढेर सारी ट्रेनों की सेवाएं प्रभावित होंगी जिससे जनता को मुश्‍किलों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि कुड़मी समाज ने इसके लिए पहले ही उनसे माफी मांग ली है। उनका कहना है कि इसके अलावा उनके पास और कोई विकल्‍प नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 18 Sep 2023 08:58 AM (IST)
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20 सितंबर से झारखंड, बंगाल और ओडिशा में होने जा रहा रेल रोको आंदोलन।

जागरण संवाददाता, पुरुलिया/रांची। आदिवासी का दर्जा पाने के लिए इस बार कुड़मी समाज 20 सितंबर को तीन राज्य में एक साथ रेल रोको आंदोलन करेगा। आदिवासी कुड़मी समाज के प्रमुख नेता अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि इस बार का आंदोलन बंगाल, झारखंड व ओडिशा में एक साथ होगा।

रेल रोको आंदोलन को टीएमसी का समर्थन नहीं

तृणमूल कांग्रेस के पुरुलिया जिला अध्यक्ष सौमेन बेलथरिया ने कहा कि आदिवासी कुड़मी समाज आम जनता को परेशानी में डालकर यह आंदोलन करने जा रहा है इसलिए तृणमूल कांग्रेस इस आंदोलन का समर्थन नहीं करेगा। तृणमूल कांग्रेस का कोई भी कार्यकर्ता इस आंदोलन में शामिल नहीं होगा।

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कुड़मी समाज ने जनता से मांग ली माफी

इस पर अजीत महतो ने कहा कि आंदोलन का तृणमूल कांग्रेस समर्थन करेगा या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ेगा, यह हमें भी मालूम है। इसीलिए संगठन की ओर से पहले ही जनता से माफी मांगी गई है।

ज्ञात हो कि 20 सितंबर का रेल रोको आंदोलन झारखंड के मनोहरपुर, नीमडीह, गोमो व मुरी, बंगाल के कुस्तौर व खेमाशुली और ओडिशा के बारीपदा व रायरंगपुर स्टेशन पर होगा। गौरतलब है कि इससे पहले कुड़मी समाज 20 सितंबर, 2022 व पांच अप्रैल, 2023 को पांच दिवसीय रेल रोको आंदोलन कर चुका है।

यह तीसरी दफा है, जब कुड़मी समाज की तरफ से रेल रोको आंदोलन किया जा रहा है। उनकी मांग केंद्र सरकार से उन्‍हें आदिवासी होने का दर्जा देने की मांग को लेकर है। ये लोग OBC यानी कि अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आते हैं।

ये लोग खुद को झारखंड का बताते हैं, लेकिन यहां के आदिवासी लोग इन्‍हें बा‍हर का मानते हैं। इस समुदाय के कुछ लोग झारखंड के साथ ही ओडिशा और बंगाल में भी रहते हैं। इनकी मांग है कि इन्‍हें OBC नहीं, बल्कि ST यानी कि अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। 

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