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    CAT के लिए जमीन उपलब्ध कराने के बाद भी स्थायी बेंच का गठन नहीं, हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

    Updated: Sat, 30 Aug 2025 04:19 PM (IST)

    Jharkhand High Court में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के लिए जमीन उपलब्ध कराए जाने के बाद भी स्थायी बेंच का गठन नहीं करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने 18 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में प्रदीप कुमार ने जनहित याचिका दाखिल की है।

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    जमीन उपलब्ध कराने के बाद स्थायी बेंच नहीं होने पर केंद्र से जवाब मांगा गया है।

    राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के लिए जमीन उपलब्ध कराए जाने के बाद भी स्थायी बेंच का गठन नहीं करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।

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    सुनवाई के बाद अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने 18 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में प्रदीप कुमार ने जनहित याचिका दाखिल की है।

    सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि कैट के लिए हाई कोर्ट के पास में ही दो एकड़ जमीन दी गई है।

    इस पर कोर्ट ने कहा कि जब जमीन उपलब्ध करा दी गई है, तो अभी तक यहां स्थायी बेंच की गठन प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की गई है।

    प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि कैट की सर्किट बेंच झारखंड में होने के कारण केवल पांच दिनों तक मामले की सुनवाई हो पाती है।

    ऐसे में मुवक्किल एवं वकीलों दोनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। कई ट्रिब्यूनल के बेंच पटना एवं कोलकाता में है।

    नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल के स्थाई बेंच दूसरे राज्य में है, वहीं कैट का स्थाई बेंच पटना में है। लोगों को अपने मामले की सुनवाई के दौरान पटना एवं कोलकाता जाना पड़ता है।

    सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सुझाव दिया कि ओडिशा जैसे अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी सभी ट्रिब्यूनल के स्थाई बेंच बनाया जाना चाहिए।

    झारखंड में एक ही जगह पर सभी ट्रिब्यूनल को बनाया जाना चाहिए, ताकि वकीलों और मुवक्किलों को राहत मिले। कई ट्रिब्यूनल के स्थायी बेंच बनने से झारखंड के लोगों को अपने मामले के लिए सुनवाई के लिए दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया।

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