सांसों को बचाने के लिए लगाएं बरगद
कोरोना संक्रमण ने लोगों को समझा दिया कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमें विनाश की ओर ले जाता है।
जासं, रांची: कोरोना संक्रमण ने लोगों को समझा दिया कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमें विनाश की तरफ ही ले जाएगा। ऐसे में अब लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए जागृत हो रहे हैं। दैनिक जागरण ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिए बरगद लगाने का अभियान शुरू किया है। बरगद विज्ञानी और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसकी शाखाएं काफी बड़ी होती हैं। जो कई प्रकार के पक्षियों का घर बन सकती है। इसके साथ ही बरगद किसी अन्य पौधे से ज्यादा आक्सीजन देता है। हिन्दू धर्म के मुताबिक बरगद के वृक्ष में त्रिवेदी का वास है। इसलिए पितरों के तर्पण से लेकर आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति के लिए लोग ध्यान और योग इसकी छाया में करते हैं।
भारतीय संस्कृति में वट वृक्ष के महत्व को देखते हुए वट सावित्री वत्र में इसकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सावित्री को उसके पति सत्यवान का प्राण वट वृक्ष के नीचे ही प्राप्त हुआ था। इसलिए ज्येष्ठ आमावस्या के दिन वट सावित्री के व्रत का विधान है। मगर आज कल शहरों में विकास के नाम पर इतने पेड़ों की कटाई हुई कि बरगद के पेड़ लगभग गायब हो गए। वट सावित्री की पूजा करने के लिए एक बरगद के पेड़ के नीचे सैकड़ों महिलाएं इकट्ठा होती हैं।
आयुर्वेदाचार्य भरत कुमार अग्रवाल बताते हैं कि वट वृक्ष का जड़ से लेकर पत्ता तक औषधियों के रूप में कई बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वट की जटा और जटामांसी का चूर्ण 25-25 ग्राम, तिल का तेल 400 मिलीग्राम तथा गिलोय का रस 2 लीटर लें। इन सभी को आपस में मिलाकर धूप में रखें। पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश करें। इससे गंजेपन की समस्या खत्म होती है और बाल झड़ना बंद हो जाता है। इसके साथ ही वट वृक्ष के 5-6 कोमल पत्तों को या जटा को 10-20 ग्राम मसूर के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर उभरने वाले मुंहासे और झांई दूर होती हैं। इसके साथ ही वट के विभिन्न भागों का गठिया, मुंह के छाले, आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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कोट
बरगद के पेड़ आक्सीजन देने के साथ धार्मिक ²ष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में मैंने इस वट सावित्री को घर में एक गमले में बरगद का पौधा लगाने का संकल्प लिया है।
- मधु मंदिर में एक वट का वृक्ष है। वहां महिलाओं की काफी भीड़ होती है। ऐसे में मैंने तय किया है कि इस बार अपने घर के पास एक फिल्ड में एक बरगद का पौधा लगाउंगी।
- माधुरी बरगद का पौधा हमारे धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। आज शहर में काफी कम बरगद के पौधे बचे हैं। इस बार वट सावित्री को मैं एक बरगद का पौधा लगाउंगी।
- अलका।