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झारखंड 'कैश कांड' में PMLA कोर्ट ने ED को दी रिमांड की अनुमति, अब मंत्री आलमगीर के पीएस व नौकर पर कसेगा शिकंजा

झाररखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है और दोनों के ठिकानों से ईडी ने कुल 35 करोड़ 23 लाख रुपयों बरामद किए हैं। इन रुपयों के अलावा ईडी को भारी मात्रा में लेनदेन ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित दस्तावेज और कई डिजिटल उपकरण भी मिले हैं।

By Dilip Kumar Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Tue, 07 May 2024 08:53 PM (IST)
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झारखंड कैश कांड में PMLA कोर्ट ने ED को दी रिमांड की अनुमति (File Photo)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है।

दोनों के ठिकानों से ईडी को कुल 35 करोड़ 23 लाख रुपयों के अलावा भारी मात्रा में लेनदेन, ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित दस्तावेज, डिजिटल उपकरण बरामद किए हैं।

कोर्ट ने छह दिनों के रिमांड की दी अनुमति 

ईडी ने दोनों को मंगलवार को पीएमएलए की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया है।

ईडी ने कोर्ट से दोनों को 10 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ की अनुमति मांगी, जिसमें कोर्ट से ईडी को केवल छह दिनों तक पूछताछ की अनुमति मिली है। बुधवार से दोनों की रिमांड शुरू होगी।

रिमांड आवेदन में ईडी ने ये कहा

रिमांड आवेदन में ईडी ने बताया है कि संजीव लाल प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में टेंडर मैनेज करते थे। वे इंजीनियरों से मोटी रकम वसूलते थे। कमीशन सरकार में ऊपर तक पहुंचता था।

ईडी ने अनुसंधान में पाया है कि टेंडर कमीशन के इस कुकृत्य में वरिष्ठ नौकरशाह से लेकर नेता तक शामिल थे, जिनके नाम सामने आ चुके हैं।

संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए दोनों

ईडी ने कोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास विभाग के नीचे से लेकर ऊपर तक के बहुत से अधिकारी-कर्मी इस टेंडर कमीशन के नेटवर्क का हिस्सा रहे हैं। सभी नकदी वसूली में शामिल थे और उन रुपयों की धनशोधन किया।

छापेमारी में बरामद रुपयों के बारे में दोनों संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इन्होंने पूछताछ में ईडी को सहयोग नहीं किया। इनकी चल-अचल संपत्ति को चिह्नित करने के लिए इनसे पूछताछ की आवश्यकता है।

संजीव लाल के निर्देश पर जहांगीर आलम करता था वसूली

गिरफ्तार जहांगीर आलम संजीव लाल के निर्देश पर प्रभावशाली व्यक्तियों से रुपयों की वसूली करता था। दोनों ने मिलकर अपराध से संपत्ति अर्जित की है।

जहांगीर आलम के ठिकाने से 32 करोड़ 20 लाख रुपये बरामद किए गए हैं। उनके अन्य सहयोगी के ठिकाने से दो करोड़ 93 लाख व संजीव लाल के ठिकाने से 10 लाख पांच हजार रुपये की बरामदगी हुई है।

संजीव लाल के आवास से दो वाहन बरामद किए गए हैं, जिनमें एक वाहन जहांगीर आलम के नाम पर था। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि यह साबित होता है कि अपराध में संजीव लाल का जहांगीर आलम नजदीकी सहयोगी रहा है।

संजीव लाल को कमीशन में दिए थे करोड़ों रुपये

ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले में गत वर्ष 23 फरवरी 2023 को ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था।

ईडी को यह जानकारी मिली थी कि वीरेंद्र राम व अन्य इंजीनियरों ने भी संजीव लाल को टेंडर कमीशन में करोड़ों रुपये दिए थे। उस समय से ही ईडी की नजर संजीव लाल पर थी।

वीरेंद्र राम से संजीव लाल तक ऐसे कसता चला गया ईडी का घेरा

एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को दर्ज कांड संख्या 13/2019 के आधार पर ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआइआर किया था। ईडी की छानबीन में मिले तथ्यों व सूचनाओं के आधार पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने तीन मार्च 2023 को कांड संख्या 22/2023 दर्ज की थी।

यह एफआईआर वीरेंद्र कुमार राम, मुकेश मित्तल व अन्य अज्ञात पर दर्ज हुई थी। इसमें बंद हो चुके भारतीय नोट की बरामदगी से संबंधित धाराएं भी लगीं थीं। ईडी ने उन सभी कांडों को भी अपने ईसीआइआर में जोड़ दिया था।

इनके खिलाफ दायर किया गया था पूरक आरोपत पत्र

छानबीन के बाद ईडी ने 21 अप्रैल 2023 को वीरेंद्र राम, आलोक रंजन, राजकुमारी व गेंदा राम के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद 20 अगस्त 2023 को ईडी ने मुकेश मित्तल, तारा चंद, नीरज मित्तल, रामप्रकाश भाटिया, हरिश यादव व हृदया नंद तिवारी के विरुद्ध पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था।

ईडी ने वीरेंद्र राम को 23 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था, तब वे ग्रामीण कार्य विभाग में मुख्य अभियंता थे। उस वक्त छानबीन में यह बात सामने आई थी कि वीरेंद्र राम टेंडर के बदले में 1.5 प्रतिशत का कमीशन लेते थे। कमीशन की राशि वरिष्ठ अधिकारियों न नेताओं में बंटती थी।

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