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झारखंड में सियासी हलचल तेज: कैबिनेट के बहाने सचिवालय में लगा सत्तापक्ष के विधायकों का जमावड़ा, बाहर न जाने की मिली हिदायत

Jharkhand Politics झारखंड में संभावित राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर सत्तापक्ष कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। यही वजह है कि बीते एक सप्ताह से ज्यादा समय से विधायक राजधानी रांची में ही जमे हैं। उन्हें बाहर नहीं जाने की हिदायत दी गई है। कहा गया कि वे अपनी गतिविधियों को नियंत्रित रखें और आवश्यकता पड़ने पर हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें।

By Pradeep singh Edited By: Shashank ShekharUpdated: Tue, 09 Jan 2024 09:21 PM (IST)
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झारखंड में सियासत तेज: कैबिनेट के बहाने सचिवालय में जमावड़े से सत्तापक्ष सतर्क, विधायकों को दे डाली हिदायत

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में संभावित राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर सत्तापक्ष कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। यही वजह है कि बीते एक सप्ताह से ज्यादा समय से विधायक राजधानी रांची में ही जमे हैं। उन्हें बाहर नहीं जाने की हिदायत दी गई है। कहा गया कि वे अपनी गतिविधियों को नियंत्रित रखें और आवश्यकता पड़ने पर हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें।

मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में कैबिनेट की बैठक के बहाने भी विधायकों का जमावड़ा हुआ। इस दौरान भी राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार-विमर्श किया गया। विधायकों को एक बार फिर कहा गया कि वे राज्य के बाहर नहीं जाएं। दरअसल, जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने पुणे जाने की अनुमति मांगी थी।

इरफान अंसारी ने अपना कार्यक्रम स्थगित किया 

उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपनी इच्छा से अवगत कराया। उसके बाद उन्होंने अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया। इसके अलावा बरही के विधायक उमाशंकर अकेला को भी राष्ट्रीय छात्र संसद में भाग लेना था, लेकिन वे भी नहीं जाएंगे।

इरफान अंसारी ने बताया कि राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए अपना कार्यक्रम स्थगति कर दिया। उन्हें जामताड़ा में साइबर अपराध के कारणों पर पुणे में व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था। इसमें देशभर के प्रतिष्ठित और गणमान्य लोगों की मौजूदगी होती है।

बरही के विधायक उमाशंकर अकेला को भी राष्ट्रीय छात्र संसद में शामिल होने के लिए खास तौर पर बुलाया गया था। दोनों विधायकों ने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए विमर्श करने के बाद नहीं जाने का निर्णय किया। इरफान ने कहा कि राज्य से दूर जाना अभी उचित नहीं है। हरेक परिस्थिति में अपने मुख्यमंत्री के साथ सारे विधायक अडिग हैं। वे वीडियो कांफ़्रेंसिंग के माध्यम से समारोह को संबोधित करेंगे।

भाजपा की गतिविधियों पर भी निगाहें

सत्तापक्ष की निगाहें प्रतिद्वंद्वी भाजपा की गतिविधियों पर भी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने निर्वाचन आयोग पर गांडेय में उपचुनाव कराने का दबाव बनाया है। उधर भाजपा ने मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात कर उपचुनाव नहीं कराने के पक्ष में दलील दी। भाजपा ने राज्यपाल से यह भी आग्रह किया है कि वे उन तर्कों से चुनाव आयोग को भी अवगत कराएं जो उपचुनाव नहीं कराए जाने के पक्ष में हैं।

उधर, झामुमो का दावा है कि विधानसभा की निर्धारित अवधि के मुताबिक गांडेय में उपचुनाव कराया जाना चाहिए। ऐसे में राज्यपाल के रुख पर भी काफी कुछ निर्भर करता है।

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