Mann Ki Baat: पीएम मोदी को भाया झारखंड का देसी तरीका, ओरमांझी के आरा व कैरम के ग्रामीणों को सराहा VIDEO
Mann Ki Baat. जल प्रबंधन के लिए ग्रामीणों के हौसले की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि पहाड़ से बहते झरने को लोगों ने निश्चत दिशा दिया है उससे मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी रुकेगी।
By Alok ShahiEdited By: Updated: Sun, 28 Jul 2019 08:42 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। जल संरक्षण के बेहतर प्रयासों को लेकर प्रधानमंत्री ने झारखंड के दो और गांवों की सराहना की है। यह रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के आरा व कैरम गांव हैं, जहां पहाड़ से बहकर बर्बाद हो जाने वाले लाखों लीटर पानी का संचय कर ग्रामीणों ने गांव की सूरत बदल दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में यहां के ग्रामीणों के जज्बे की सराहना करते हुए कहा कि जल संरक्षण की दिशा में इस गांव के लोगों का प्रयास नजीर साबित हो सकता है। इससे पहले 30 जून को भी प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण की दिशा में हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड की लुपुंग पंचायत में हो रहे कार्यों की सराहना करते हुए वहां के मुखिया दिलीप कुमार रविदास का अनुभव सुनाया था।
Appreciable effort by the people of Jharkhand towards water conservation. #MannKiBaat pic.twitter.com/jVxfXcCQCK
— PMO India (@PMOIndia) July 28, 2019
झारखंड में जनांदोलन बन रहा जल संरक्षण : रघुवर दास
प्रधानमंत्री द्वारा इस गांव की चर्चा किए जाने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी आरा व कैरम गांव के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि झारखंड में जल संरक्षण जन आंदोलन का रूप ले रहा है। रांची के आरा व कैरम गांव के लोगों ने पूरे देश के सामने मिसाल पेश की है। सीएम ने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में झारखंड के प्रयासों को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए प्रधानमंत्री को भी कोटि-कोटि धन्यवाद।
प्रधानमंत्री द्वारा इस गांव की चर्चा किए जाने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी आरा व कैरम गांव के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि झारखंड में जल संरक्षण जन आंदोलन का रूप ले रहा है। रांची के आरा व कैरम गांव के लोगों ने पूरे देश के सामने मिसाल पेश की है। सीएम ने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में झारखंड के प्रयासों को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए प्रधानमंत्री को भी कोटि-कोटि धन्यवाद।
झारखण्ड में जल संरक्षण एक जनआंदोलन का रुप ले रहा है।राँची के आरा केरम गांव के लोगों ने पूरे देश के सामने मिसाल पेश की है।आप सभी को बधाई।
जल संरक्षण के क्षेत्र में झारखण्ड के प्रयासों को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi का कोटि-कोटि धन्यवाद#MannKiBaat pic.twitter.com/VwOeEoduev
— Raghubar Das (@dasraghubar) July 28, 2019
मन की बात में पीएम का संदेश
'झारखंड में रांची से कुछ दूर, ओरमांझी प्रखंड के आरा व केरम गांवों में, वहां के ग्रामीणों ने जल प्रबंधन को लेकर जो हौसला दिखाया है, वो हर किसी के लिए मिसाल बन गया है। यहां ग्रामीणों ने श्रमदान करके पहाड़ से बहते झरने को एक निश्चित दिशा देने का काम किया। वो भी शुद्ध देसी तरीका। इससे न केवल मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी रुकी है, बल्कि खेतों को भी पानी मिल रहा है। ग्रामीणों का ये श्रमदान, अब पूरे गांव के लिए जीवन दान से कम नहीं है। ग्रामीणों के हौसले और उनकी कोशिशों को सलाम'
आरा केरम की महिलाओं ने नशामुक्ति अभियान चलाकर भी पेश की थी मिसाल
रांची से 32 किलोमीटर दूर ओरमांझी में आरा और कैरम दो अगल-बगल एक-दूसरे से सटे गांव हैं। दो साल पहले तक इन दोनों गांवों के लोग शाम होते ही नशे में डूब जाते थे। यहां लगभग हर गांव में हडिय़ा-दारू बनता था और गांव के लोग नशे की गिरफ्त में आकर अपना घर-बार बर्बाद कर रहे थे। वर्षों से इस गांव की यही पहचान थी। इस स्थिति से त्रस्त गांव की महिलाओं ने इस पहचान को बदलने और गांव को खुशहाल बनाने की ठानी। उन्होंने गांव में शराब के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाया और दोनों गांवों को हडिय़ा-दारू से मुक्ति दिला दी। आज ये दोनों गांव पूरे राज्य में नशामुक्ति के प्रतीक बन गए हैं। गांव को नशामुक्त घोषित किये जाने पर मुख्यमंत्री ने गांव में चौपाल लगाकर गांव वालों को बधाई दी थी।
शहर को भी मात देते हैं दोनों गांव
झारखंड में ये दोनों गांव अब जागरूकता और स्वच्छता में भी अव्वल हैं। आज ये गांव कई मामलों में शहरी क्षेत्र को भी मात देते हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास भी गांव को देखने पहुंचे थे और वहां से लौटते ही राज्य के कम से कम 100 गांवों को उसी तर्ज पर विकसित करने का निर्देश दिया।
शुरू से ही पर्यावरण प्रेमी हैं गांव के लोग
आरा व कैरम गांव के लोग शुरू से पर्यावरण प्रेमी है। पहले गांव के लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए कुल्हाड़ी बंदी की। इसके तहत गांव में पेड़ की कटाई पर प्रतिबंध लगाया गया। अगर कोई पेड़ काटते मिल जाता था, तो उस पर गांववाले कड़ी कार्रवाई करते थे। इसके बाद लोटा बंदी 'खुले में शौच से मुक्ति' के लिए भी जोर-शोर से अभियान चलाया। यहां का नशाबंदी अभियान तो पूरे प्रदेश में चर्चा में रहा ही है। ग्रामीणों ने इसमें सफल होने के बाद जल संरक्षण की ओर ध्यान दिया।
गांववालों की आर्थिक स्थिति में हुआ है सुधार
जब यहां लोग शराब में डूबे रहते थे तो हर दिन गांव में लड़ाई-झगड़ा होता रहता था। इसके बाद महिलाओं ने अपने-अपने घरों में पीने वालों से दारू छुड़ाने का प्रयास शुरू किया। धीरे-धीरे यह प्रयास अभियान बनकर पूरे गांव में फैल गया। सभी ने मिल कर दारू बनने की जगह पर हमला भी बोला। गांव के युवाओं ने भी इसमें साथ दिया। अब नशामुक्त होने के बाद गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। मनरेगा से जहां लोगों को रोजगार मिला। वहीं खेती-बारी और पशुपालन के जरिए आमदनी बढ़ी है। डोभा में मछलीपालन कर भी लोग बेहतर आमदनी कर रहे हैं।
'मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गांव की सराहना किए जाने से हम लोग काफी खुश हैं। लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। गांव के लोगों ने जो कार्य किया है यह उसका सबसे बड़ा पुरस्कार है। अब आगे और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी।' -गोपाल बेदिया, ग्राम प्रधान, आरा व कैरम।
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आरा केरम की महिलाओं ने नशामुक्ति अभियान चलाकर भी पेश की थी मिसाल
रांची से 32 किलोमीटर दूर ओरमांझी में आरा और कैरम दो अगल-बगल एक-दूसरे से सटे गांव हैं। दो साल पहले तक इन दोनों गांवों के लोग शाम होते ही नशे में डूब जाते थे। यहां लगभग हर गांव में हडिय़ा-दारू बनता था और गांव के लोग नशे की गिरफ्त में आकर अपना घर-बार बर्बाद कर रहे थे। वर्षों से इस गांव की यही पहचान थी। इस स्थिति से त्रस्त गांव की महिलाओं ने इस पहचान को बदलने और गांव को खुशहाल बनाने की ठानी। उन्होंने गांव में शराब के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाया और दोनों गांवों को हडिय़ा-दारू से मुक्ति दिला दी। आज ये दोनों गांव पूरे राज्य में नशामुक्ति के प्रतीक बन गए हैं। गांव को नशामुक्त घोषित किये जाने पर मुख्यमंत्री ने गांव में चौपाल लगाकर गांव वालों को बधाई दी थी।
शहर को भी मात देते हैं दोनों गांव
झारखंड में ये दोनों गांव अब जागरूकता और स्वच्छता में भी अव्वल हैं। आज ये गांव कई मामलों में शहरी क्षेत्र को भी मात देते हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास भी गांव को देखने पहुंचे थे और वहां से लौटते ही राज्य के कम से कम 100 गांवों को उसी तर्ज पर विकसित करने का निर्देश दिया।
शुरू से ही पर्यावरण प्रेमी हैं गांव के लोग
आरा व कैरम गांव के लोग शुरू से पर्यावरण प्रेमी है। पहले गांव के लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए कुल्हाड़ी बंदी की। इसके तहत गांव में पेड़ की कटाई पर प्रतिबंध लगाया गया। अगर कोई पेड़ काटते मिल जाता था, तो उस पर गांववाले कड़ी कार्रवाई करते थे। इसके बाद लोटा बंदी 'खुले में शौच से मुक्ति' के लिए भी जोर-शोर से अभियान चलाया। यहां का नशाबंदी अभियान तो पूरे प्रदेश में चर्चा में रहा ही है। ग्रामीणों ने इसमें सफल होने के बाद जल संरक्षण की ओर ध्यान दिया।
गांववालों की आर्थिक स्थिति में हुआ है सुधार
जब यहां लोग शराब में डूबे रहते थे तो हर दिन गांव में लड़ाई-झगड़ा होता रहता था। इसके बाद महिलाओं ने अपने-अपने घरों में पीने वालों से दारू छुड़ाने का प्रयास शुरू किया। धीरे-धीरे यह प्रयास अभियान बनकर पूरे गांव में फैल गया। सभी ने मिल कर दारू बनने की जगह पर हमला भी बोला। गांव के युवाओं ने भी इसमें साथ दिया। अब नशामुक्त होने के बाद गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। मनरेगा से जहां लोगों को रोजगार मिला। वहीं खेती-बारी और पशुपालन के जरिए आमदनी बढ़ी है। डोभा में मछलीपालन कर भी लोग बेहतर आमदनी कर रहे हैं।
'मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गांव की सराहना किए जाने से हम लोग काफी खुश हैं। लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। गांव के लोगों ने जो कार्य किया है यह उसका सबसे बड़ा पुरस्कार है। अब आगे और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी।' -गोपाल बेदिया, ग्राम प्रधान, आरा व कैरम।