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ट्रेनों में पत्थरबाजी की घटनाओं से रेलवे हुआ परेशान, समझाने के बावजूद नहीं बन रही बात, कई यात्री हो चुके चोटिल

ट्रेनों में पत्थरबाजी की घटनाओं से रेलवे परेशान है। इससे अब तक कई रेल यात्री चोटिल हो चुके हैं। साथ ही साथ शीशे भी टूटते हैं। इस सि‍लसिले में जागरुकता अभियान भी चलाया गया है लेकिन उसका भी कोई खास असर नहीं दिख रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 13 Dec 2022 02:35 PM (IST)
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ट्रेनों में पत्थरबाजी की घटनाओं से रेलवे हुआ परेशान

जासं, रांची। रेलवे की तमाम कोशिशों के बावजूद चलती ट्रेनों में पत्थरबाजी की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। हर महीने दो से तीन पत्थरबाजी के मामले सामने आ रहे हैं। फिर भी पत्थरबाजी करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पत्थरबाजी के बाद रेलवे पत्थरबाजों को खोज ही नहीं पाती है और घटना को अंजाम देने के बाद वे आराम से घूमते रहते हैं।

इस दौरान ट्रेन में बैठे यात्रियों को कई बार चोटें भी आती है। कुछ तो गंभीर रूप से भी घायल हो जाते हैं। पत्थरबाज अक्सर पैसेंजर ट्रेनों को ही अपना निशाना बनाते हैं। लेकिन, मौके पर लोगों की गिरफ्तारी नहीं हो पाती है। इसलिए अक्सर पत्थारबाजी जैसे वारदात होते हैं। रेलवे इस पर लगाम कसने में असक्षम है। रांची हावड़ा एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस सहित अन्य एक्सप्रेस में सर्वाधित पत्थरबाजी की घटना हुई है।

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कई मामलों की रिपोर्टिंग न होने से बढ़ी परेशानी

पत्‍थरबाजी की इन घटनाओं को लेकर अब तक सिर्फ दो की गिरफ्तारी हुई है। बीते दस महीनों में 15 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से सिर्फ दो की गिरफ्तारी हुई है। कई मामले तो ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्टिंग नहीं हो पाती है या आरपीएफ को सूचना नहीं मिल पाती है। वे ही मामले दर्ज हो पाते हैं, जिनमें ट्रेन का शीशा टूटने या किसी यात्री को चोट लगती है। अन्य मामलों की जानकारी आरपीएफ तक नहीं पहुंच पाती है।

पहले के मुकाबले घटनाओं में कमी

रांची रेल मंडल में एएससी, आरपीएफ पवन कुमार बताते हैं, आरपीएफ की टीम की ओर से विभिन्न क्षेत्र या रेल लाइन के किनारे की बस्तियों में जाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। अब तक 145 जगहों पर जागरूक करने का काम किया गया है। उन्हें बताया जाता है कि पत्थरबाजी अपराध है। ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है। पहले की तुलना में घटनाएं कुछ कम हुई है।

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