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रांची में गांजे की कश ले रहे बच्‍चे, टॉफी के पैकेट में स्‍कूलों के बाहर हो रही भांग की बिक्री; उड़ रही नियमों की धज्जियां

Ranchi News शहर के अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों के परिसर के बाहर धड़ल्ले से नशीले पदार्थों की बिक्री चल रही है जिसकी चपेट में बच्‍चे आ रहे हैं। स्कूल-कालेजों में छुट्टी होते ही नशे की दुकानें सजने लगती हैं। अब तक प्रशासन का ध्‍यान इस ओर नहीं गया है। इन दुकानों में बीड़ी सिगरेट गुटखा भांग तंबाकू की बिक्री हो रही है।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 05 Jan 2024 11:54 AM (IST)
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पुरूलिया रोड के पास सिगरेट पिते हुए विद्यार्थी।
कुमार गौरव, रांची। शहर के अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों के परिसर के बाहर धड़ल्ले से नशीले पदार्थों की बिक्री चल रही है। सरकारी नियमानुसार शैक्षणिक संस्थानों के आसपास 100 मीटर की परिधि में किसी प्रकार के नशीले पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक है। इसके बाद भी स्कूल-कालेजों में छुट्टी होते ही नशे की दुकानें सजने लगती हैं। इस संबंध में गत दिनों जिला स्कूल के शिक्षकों ने संबंधित पदाधिकारियों को आवेदन भी सौंपा था ताकि स्कूल के आसपास नशीले पदार्थों की बिक्री पर रोक लग सके, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी।

स्‍कूलों के बाहर धड़ल्‍ले से हो रही नशीले पदार्थों की बिक्री

मारवाड़ी प्लस-2 विद्यालय के पास स्कूल प्रबंधन के द्वारा सख्ती किए जाने का सकारात्मक परिणाम सामने आया है और तीन दुकानों से नशीले पदार्थों की बिक्री पर रोक लगा दी गई।

जबकि शहर के बीचोबीच स्थित जिला स्कूल के मुख्य द्वार के बाहर नशीले पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। वहीं रामलखन सिंह यादव काॅलेज के बाहर और जेवियर्स स्ट्रीट में करीब आधा दर्जन दुकानों में बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, भांग, तंबाकू की बिक्री हो रही है। इन दुकानों में असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लगा रहता है।

नशे की चपेट में आ रहे बच्‍चे

कुछ छात्र-छात्राओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि कई बार कालेज के प्राचार्य से शिकायत की गई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हमलोग चाहकर भी विरोध नहीं कर पाते हैं।

इन दुकानों के आसपास असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी लगा रहता है, लेकिन जिला प्रशासन का इस तरफ ध्यान नहीं है। नशे के कारोबारियों ने स्कूल, काॅलेज व इसके आसपास के सभी स्थानों पर अपने ठिकाने बना लिए हैं। यहां पर चरस, अफीम और गांजा आदि की बिक्री तक के खुलासे हो चुके हैं।

आमतौर पर 14 या इससे अधिक उम्र के बच्चों में बहकने की संभावना अधिक रहती है। बच्चों में बात बात पर गुस्सा व चिड़चिड़ापन, पढ़ाई के प्रति रुचि कम होना, अकेले रहना किसी से बातचीत न करना और स्वास्थ्य का गिरना जैसे लक्षण सामने आने पर जरुर सतर्क हो जाएं-डा. सिद्धार्थ सिन्हा, वरीय मनोचिकित्सक, रिनपास रांची।

संस्थानों के बाहर किया जाता है संपर्क

नशा तस्कर शहर में अपना जाल फैलाने के लिए युवाओं का सहारा लेते हैं। इसका फायदा उठाकर तस्कर न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ाते हैं बल्कि युवाओं को नशे की दुनिया में धकेल रहे हैं।

पुलिस स्कूल और काॅलेज प्रशासन के सहयोग से ड्रग्स के फैलाव को रोकने का काम कर रही है। नशामुक्ति अभियान का कोई असर नहीं पड़ रहा है।

गांजा और भांग की धड़ल्ले से हो रही बिक्री

जब ऐसे ही कुछ नशीले पदार्थों की पड़ताल की गई तो पाया गया कि इस वक्त सबसे ज्यादा महादेव का गोला नाम से नशीला खाद्य पदार्थ बिक रहा है। टाॅफी जैसी पैकिंग में दो से पांच रुपये के इस गोले में भांग मिला होता है, जिससे हलका नशा होता है।

सूत्रों के अनुसार यह ऐसा नशा है जो यदि प्रतिदिन खाया जाए तो खाने वाला इसका आदी हो जाता है और भविष्य में इसकी डोज बढ़ाता चला जाता है। नशीले पदार्थों में मुनक्का नाम से भी एक उत्पाद बाजार में उपलब्ध है। इसमें भी नशीला पदार्थ मिला होता है। नौवीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को टारगेट कर इनकी खेप बेची जा रही है। छात्र और युवा नशे की गिरफ्त में जा रहे हैं।

सभी शैक्षणिक संस्थानों के बाहर नशामुक्त परिसर का बोर्ड लगाना अनिवार्य है। स्कूल कालेज के बाहर ऐसी कुछ दुकानों के सक्रिय होने की सूचना मिली है। जल्द ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी- मिथिलेश केरकेट्टा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, रांची।

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