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Ranchi News: चेक बाउंस मामले में कोर्ट ने लगाया 1.70 करोड़ का जुर्माना, 1 साल काटनी होगी जेल की सजा

रांची सिविल कोर्ट में शुक्रवार को एक चेक बाउंस से जुड़े 13 साल पुराने केस पर सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियुक्त मेसर्स दुर्गा डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक उनके पति और दो बेटों को सजा सुनाई है। कोर्ट ने एक साल साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए जुर्माने के तौर पर दोषियों को 1.70 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।

By Manoj Singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sat, 10 Aug 2024 05:02 PM (IST)
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13 साल पुराने चेक बाउंस मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा (सांकेतिक तस्वीर)
राज्य ब्यूरो, रांची। रांची सिविल कोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े 13 साल पुराने मामले के अभियुक्त मेसर्स दुर्गा डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दुर्गा झा, उनके पति अनिल कुमार झा, दोनों बेटों निलय कुमार झा एवं सुनील कुमार झा को दोषी करार देते हुए एक साल साधारण कारावास की सजा सुनाई है।

अदालत ने चारों दोषी निदेशकों को संयुक्त रूप से 1.70 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान एक महीने के अंदर करने का निर्देश दिया है। चारों अभियुक्त कडरू डायवर्सन रोड स्थित शिवम प्लाजा निवासी हैं।

जनवरी 2011 में दर्ज किया गया था मामला

इन लोगों के खिलाफ 85.26 लाख रुपये के चेक बाउंस के आरोप में 28 जनवरी 2011 को कोर्ट केस दर्ज किया गया था।

यह मुकदमा डोरंडा के श्यामली स्थित भारत सरकार के उपक्रम हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की ओर से तत्कांलीन सहायक विधि अधिकारी एसएन गुप्ता ने दर्ज कराया था।

आरोपितों ने कंपनी से स्कीम के तहत कडरू में बहुमंजिला कामर्शियल कांप्लेक्स शिवम प्लाजा के निर्माण के लिए करोड़ों रुपये का टर्म लोन लिया था।

राशि का भुगतान नहीं होने पर किया था केस दर्ज

आरोपितों ने ऋण राशि और उसके ब्याज की प्रतिपूर्ति को लेकर 25 नवंबर 2010 को 85.26 लाख रुपये का चेक कंपनी के नाम जारी किया था, जो बाउंस कर गया था।

इसके बाद आरोपितों को नोटिस जारी किया गया। जब आरोपित चेक की राशि का भुगतान करने में विफल रहे तो शिकायतकर्ता ने 2011 में सीजेएम कोर्ट में मुकदमा किया था।

क्या होता है चेक बाउंस ?

जब किसी व्यक्ति की तरफ से जारी किए गए चेक जारीकर्ता के खाते में कम बैलेंस का होना, इसके अलावा बैंक खाते में लगाए हुए चेक पर किए गए सिग्नेचर का मिलान न होना, चेक पर लिखे गए अकाउंट नंबर का सही न होना और खराब हो चुके चेक बैंक से क्लियर नहीं होना चेक बाउंस कहलाता है।

चेक बाउंस होने के बाद क्या होता है?

चेक बाउंस होने पर बैंक सबसे पहले चेक जारीकर्ता पर जुर्माना लगाती है। हालांकि, जुर्माना कितना होगा ये चेक बाउंस होने के कारण और बैंक पर निर्भर करता है।

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