Ranchi Crime: झारखंड ATS ने कुख्यात पांडेय गैंग के दो शूटरों को किया गिरफ्तार, कभी कोयलांचल में बोलती थी तूती
झारखंड एटीएस ने रविवार दोपहर कुख्यात पांडेय गिरोह के दो शूटरों को गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस को सूचना मिली थी कि दोनों शूटर रांची के पुदांग ओपी क्षेत्र में छुपे हुए हैं। इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर दोनों को गिरफ्तार किया है।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sun, 14 May 2023 04:42 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड एटीएस ने रविवार दोपहर कुख्यात पांडेय गिरोह के दो शूटरों को गिरफ्तार कर लिया है। इन शूटरों में बाघा और इमरान शामिल हैं, इनपर दर्जनों कांड पहले से दर्ज हैं। एटीएस को सूचना मिली थी कि दोनों शूटर रांची के पुदांग ओपी क्षेत्र में छुपे हुए हैं।
इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर दोनों को गिरफ्तार किया है। इस छापेमारी में अबतक क्या बरामदगी हुई है, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, इनके पास से पुलिस ने रंगदारी के लाखों रुपये नकदी और हथियार बरामद किया है।
झारखंड पुलिस की आतंकवाद निरोधक दस्ते को संगठित अपराध में शामिल अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मिला हुआ है। ऐसे गिरोह के अर्थतंत्र को तोड़ने, अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त करने, गिरोह का खात्मा करने के लिए एटीएस को राज्य सरकार से भी शक्ति मिली हुई है। उसी शक्ति के तहत एटीएस ने यह कार्रवाई की है।
कोयलांचल में कभी पांडेय गिरोह की बोलती थी तूती
एक समय था जब पांडेय गिरोह का कोयलांचल में आतंक हुआ करता था। इस गिरोह का सरगना भोला पांडेय था, जिसे 2009 दुमका जेल से रांची लाने के दौरान रास्ते में ही अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर दी थी। भोला पांडेय की हत्या में शामिल अपराधी अमरेंद्र तिवारी भी बिहार के छपरा जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र में मारा गया था। तब अमरेंद्र तिवारी कुख्यात गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव के लिए काम करता था।
पांडेय गिरोह और श्रीवास्तव गिरोह एक-दूसरे के बड़े दुश्मन थे। भोला पांडेय की हत्या का बदला पांडेय गिरोह के शूटरों ने सुशील श्रीवास्तव की हत्या से ली थी। तब सुशील श्रीवास्तव हजारीबाग के जयप्रकाश नारायण केंद्रीय जेल में बंद था। उसे कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया था, जहां पांडेय गिरोह के शूटरों ने भारी सुरक्षा के बीच कोर्ट परिसर में ही सुशील श्रीवास्तव को गोलियों से छलनी कर दी थी।
अब दोनों ही गिरोह झारखंड में कमजोर पड़े हैं। इनके शूटर अब भी सक्रिय हैं, लेकिन पहले की तरह नहीं। रंगदारी दोनों ही गिरोह तक पहुंच रहा है, जिसे तोड़ने में झारखंड एटीएस लगातार कार्रवाई कर रही है।
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