Jharkhand: किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, आपने भी ले रखा है KCC लोन तो सरकार की ये स्कीम आपके लिए है; पढ़िए
झारखंड सरकार ने किसानों को बड़ी खुशखबरी दी है। दरअसल सरकार किसान क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए एक नया स्कीम लेकर आई है। इसके तहत आपको पहले किसान क्रेडिट कार्ड का लोन चुकता करना होगा। इसके लिए सरकार ने तारीख जारी कर दी है। अब ऐसे में अगर केसीसी होल्डर ये काम पूरा कर लेते हैं तो आपके लिए ये स्कीम फायदेमंद होगा।
मनोज सिंह, रांची: राज्य में केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) धारकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। राज्य सरकार जल्द ही केसीसी लोन पर लगने वाले ब्याज का पूरा खर्च वहन करेगी। बशर्ते कि किसान अपने लोन की किस्त 31 मार्च से पहले बैंक में जमा कर दें।
जानकारी के मुताबिक, केसीसी लोन पर सात प्रतिशत का ब्याज लगता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार तीन-तीन प्रतिशत ब्याज का खर्च वहन करती है।
ऐसे में किसान को सिर्फ एक प्रतिशत ही ब्याज देना पड़ता था, लेकिन देखा गया कि एक प्रतिशत के चलते कई किसानों का केसीसी लोन एनपीए की ओर जा रहा है।
ऐसे में सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रतिशत ब्याज की राशि का भी खर्च उठाएगी। यानी अब राज्य सरकार की ओर से चार प्रतिशत ब्याज का पैसा बैंक वालों को दिया जाएगा। सरकार ने यह फैसला लगातार दो साल से राज्य में हो रहे सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए लिया है।
राज्य में 19 लाख से ज्यादा केसीसी धारक
राज्य में करीब 19 लाख से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड धारक है। पिछले साल इसमें बढ़ोतरी हुई है। सरकार की जागरूकता अभियान के चलते राज्य में 6.25 नए किसान केसीसी धारक हुए हैं। 1.60 लाख रुपये केसीसी लोन लेने के लिए किसानों को बैंकों को कोई खास दस्तावेज नहीं देना है।
सरकार का प्रयास है कि केसीसी लोन का सही सदुपयोग हो और किसान ऋण चुकाने के लिए भी प्रयास करें। इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इसे कैबिनेट भेजा जा रहा है। कैबिनेट से सहमति मिलने के बाद इसके लिए आवंटित 25 करोड़ रुपये का प्रयोग किया जाएगा।
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10 हजार करोड़ लिया गया केसीसी लोन
विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस साल राज्य में दस हजार करोड़ रुपये का केसीसी लोन लिया गया है। ऐसे में चार प्रतिशत ब्याज की राशि चार सौ करोड़ रुपये होती है, जिसका वहन सरकार को करना है।
हालांकि, राज्य में 40 प्रतिशत केसीसी लाभुक डिफॉल्टर हैं यानी वे अपने लोन की राशि बैंक में जमा नहीं करते हैं। इस स्थिति को देखते हुए बैंकर्स ने सरकार को रास्ता निकालने का आग्रह किया था। इसके बाद सरकार ने ब्याज की राशि बैंकर्स को सीधे देने का फैसला लिया है।
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