संसद में गूंजा पहाड़ी मंदिर की जर्जर स्थिति का मामला, सांसद ने की राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित करने की मांग
Pahari Mandir रांची के सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में पहाड़ी मंदिर से जुड़ा मामला उठाया। शून्यकाल के दौरान सांसद ने सदन में पहाड़ी मंदिर को संरक्षित करने की मांग उठाई। बता दें कि अनियोजित निर्माण कार्य से पहाड़ी का मिट्टी धंस रहा है।
रांची, जागरण संवाददाता। दूसरे देवघर के नाम से विख्यात राजधानी के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर की जर्जर स्थिति का मामला शुक्रवार को संसद भवन में गूंजा। रांची के सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में पहाड़ी मंदिर से जुड़ा मामला उठाया। सेठ ने इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कर इसके संरक्षण और संवर्धन की मांग की।
बता दें कि दैनिक जागरण ने जनवरी में पहाड़ी की जर्जर होती जा रही स्थिति और इसके संरक्षण-संवर्धन को लेकर अभियान चलाया था। शून्यकाल के दौरान सांसद ने सदन में कहा कि भारत में ऐसे बहुत कम स्थान हैं, जिनका धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व साथ-साथ है। ऐसे ही स्थानों में है रांची का पहाड़ी मंदिर।
उन्होंने बताया कि हिमालय से भी पुरानी इस पहाड़ी पर साक्षात भगवान शिव का वास माना जाता है। यहां आदिवासी समुदाय से जुड़े बंधु भी पूजा करते हैं, इनके पाहन यहां पूजा करवाते हैं और सबसे बड़ा ऐतिहासिक महत्व यह है कि कई स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी की सजा दी गई है, इसलिए इसे फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं।
सांसद ने कहा कि वर्तमान समय में इस पहाड़ी की स्थिति बहुत जर्जर हो चुकी है। पर्यावरणविद नीतिश प्रियदर्शी ने कई बार रिपोर्ट की है। उन्होंने बताया है कि यह पहाड़ी हिमालय से भी पुरानी है और यहां की मिट्टी भुरभुरी है। यह आशंका बनी रहती है कि यह कभी भी धंस सकती है। इतने बड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व वाले स्थान को अब संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है। जिससे इसकी ऐतिहासिकता, सांस्कृतिक छवि और आस्था सब कुछ बरकरार रह सके।
सांसद की मांग पहाड़ी की हो मजबूत घेराबंदी
संजय सेठ ने कहा कि पहाड़ी के चारों तरफ मजबूत घेराबंदी हो। इसे लोहे की जाल से या बाड़ा लगाकर मजबूती से बांधा जाए। जिससे इसके धंसने का खतरा कम हो सके और पहाड़ी सुरक्षित हो सके।
अनियोजित निर्माण कार्य से धंस रहा पहाड़ी की मिट्टी
पहाड़ी मंदिर की मिट्टी भुरभुरी है। इसके बाद भी अनियोजित निर्माण धड़ल्ले से हुए। भारी-भरकम फ्लैग पोल लगा दिया गया। हरियाली गायब हो रही है। उसके स्थान पर कंक्रीट का जंगल खड़ा किया जा रहा है। अनियोजित निर्माण कार्य का भार पहाड़ी सह नहीं पा रहा है। जगह-जगह से मिट्टी धंस रही है। यहां तक कि पहाड़ी बाबा का मुख्य मंदिर में भी दरार आ गई है।
मंदिर की बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमणकारियों की भी नजर है। मंदिर परिसर के पिछले हिस्से की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने घर बना लिए। लगातार पहाड़ी मंदिर की स्थिति जर्जर हो रही है, इसके बाद भी जिला प्रशासन चेत नहीं रहा है। पहाड़ी मंदिर के संरक्षण और संवर्धन को लेकर दैनिक जागरण लगातार अभियान चलाकर प्रशासन और राजधानी के जिम्मेदार नागरिकों को जागरूक करता आया है।