Ranchi: IAS छवि रंजन का विवादों से रहा है पुराना नाता; रिश्वत मांगने, धमकी देने समेत लग चुके हैं कई गंभीर आरोप
IAS अधिकारी छवि रंजन अपने कारनामे के कारण शुरू से ही विवादों में रहे हैं। झारखंड विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर रांची के विधायक और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीपी सिंह ने सनसनी फैला दी थी।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 13 Apr 2023 09:50 PM (IST)
प्रदीप सिंह, रांची: झारखंड कैडर के 2011 बैच के IAS अधिकारी छवि रंजन अपने कारनामों के कारण शुरू से ही विवादों में रहे हैं। झारखंड विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर रांची के विधायक और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीपी सिंह ने सनसनी फैला दी थी।
सीपी सिंह ने घूस लेने का लगाया था आरोप
छवि रंजन उस वक्त रांची के उपायुक्त थे। सीपी सिंह ने आरोप लगाया था कि वे हथियार का लाइसेंस देने के लिए पैसे लेते हैं। इसपर विधानसभा में खूब हंगामा हुआ।
सीपी सिंह के आरोपों पर राज्य सरकार के पूर्व मंत्री और खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने अधिकारी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की मांग उठाई थी।
संवेदक ने लाइसेंस के बदले पांच लाख रिश्वत मांगने का लगाया था आरोप
2021 में एक संवेदक ने हथियार का लाइसेंस देने के बदले पांच लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन आयुक्त और रांची के तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक को शिकायत की थी। हालांकि बाद में वह इससे मुकर गया।
अधिवक्ता ने धमकी देने का लगाया था आरोप
इसके अलावा रांची में तैनाती के दौरान हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने इनपर धमकी देने का आरोप लगाया था। उन्होंने हाईकोर्ट में इसकी लिखित शिकायत भी की थी। हाईकोर्ट ने इसे लेकर उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी।डाकबंगला परिसर में लगे पेड़ों को काटने का आदेश देने का भी लगा था आरोप
2015 में कोडरमा में उपायुक्त के पद पर तैनाती के दौरान मरकच्चो जिला परिषद डाकबंगला परिसर में लगे पेड़ों को काटने का आदेश देने का आरोप छवि रंजन पर लगा था। यह मामला विधानसभा में उठा तो खूब हंगामा हुआ। आरोपों के कारण राज्य सरकार ने उनका स्थानांतरण कर दिया गया था।
एसीबी की पूछताछ में छवि रंजन के अंगरक्षक रहे कृष्ण वर्मा ने पूछताछ में इसे स्वीकार किया था। उसके मुताबिक छवि रंजन के आदेश पर तत्कालीन अंचलाधिकारी, दो चौकीदारों और दो स्थानीय लोगों की मौजूदगी में पेड़ काटे गए। जब मामले का खुलासा हुआ तो पेड़ दूसरे स्थान पर फेंक दिए गए। फिलहाल यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
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