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सावधान! चिलचिलाती गर्मी और लू के कारण हीट स्ट्रोक के शिकार हो रहे बच्चे, 12 साल तक के बच्चों का रखें खास ख्याल

अप्रैल में ही राजधानी का तापमान रिकार्ड 38 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है। चिलचिलाती गर्मी और हीटवेव ने अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी गई है। चिलचिलाती गर्मी के बीच अस्पतालों में ही स्ट्रोक के अन्य रोगियों की भी संख्या बढ़ी है।

By Mohit TripathiEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 19 Apr 2023 01:26 AM (IST)
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चिलचिलाती गर्मी से अस्पतालों में बढ़े हीट स्ट्रोक से पीड़ित बच्चों की संख्या।
जागरण संवाददाता, रांची: अप्रैल में ही राजधानी का तापमान रिकार्ड 38 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है। चिलचिलाती गर्मी और हीटवेव ने अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी गई है। चिलचिलाती गर्मी के बीच अस्पतालों में ही स्ट्रोक के अन्य रोगियों की भी संख्या बढ़ी है।

12 वर्ष की आयुके बच्चों मे कम होती है प्रतिरोधक क्षमता

शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार, 6 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता होती है और वे हीटवेव के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और अस्पताल में हीट स्ट्रोक के लक्षणों की शिकायत करने वाले बच्चों की संख्या में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

ज्यादातर मामले हीटस्ट्रोक के

रिम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमर वर्मा बताते हैं कि ज्यादातर मामले जिनमें हीटस्ट्रोक शामिल है, उसमें बच्चों की संख्या अधिक दिख रही है। गर्मी और गर्म हवाओं के संपर्क में आने से बच्चे जल्द ही बीमार हो जाते हैं।

पिछले महीने की तुलना में इस महीने अस्पताल आने वाले मामलों की संख्या में 40 प्रतिशतक तक की वृद्धि हुई है और यह मामले हीट स्ट्रोक और इससे जुड़े अन्य कारण होने वाली जटिलताओं से संबंधित हैं।

स्कूल से घर जाने में बच्चे झेल रहे हैं गर्मी

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आमित मोहन बताते हैं कि 50 प्रतिशत से अधिक नियमित मामलों में हीटस्ट्रोक की वजह से सिरदर्द, पेट की परेशानी, बुखार, बेहोशी, डीहाईड्रेशन आदि जैसे लक्षण शामिल हैं।

हीट स्ट्रोक के मामले आना शुरू हो गए हैं। अप्रैल की शुरुआत में ही इस बार हीट स्ट्राेक के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई क्योंकि बच्चे स्कूल से घर लौटते समय बसों व सड़कों में अत्यधिक गर्मी झेल रहे हैं।

बच्चों को दें ताजे फलों का जूस, ओआएस का घोल

तीखी धूप से बचाव के लिए डॉक्टर छाता ले जाने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही ताजे फलों का जूस और ओआरएस का घोल देने की सलाह देते हैं। फलों में विशेष रूप से पानी वाले फलों, तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।

शिशु रोग विशेषज्ञ डा राजेश कुमार ने बच्चों को फल खाने और सीधी धूप से बचने की सलाह देते हैं। इसके अलावा वे ठंडा पानी न पीने की सलाह देते हैं। ओपीडी में प्रतिदिन दस से अधिक युवाओं के हीट स्ट्रोक से पीड़ित होने के मामले सामने आते हैं।

अस्पताल में एक माह से पांच वर्ष तक के कई बच्चे भर्ती हैं और वर्तमान में लू से पीड़ित 16 बच्चों को रानी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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