Ranchi News: रांची में 200 भवनों को तोड़ने की तैयारी, नगर निगम ने बनाई कार्रवाई की योजना
Ranchi News झारखंड की राजधानी रांची में हजारों भवन अवैध हैं। रांची नगर निगम ने दो सौ से अधिक भवनों को तोड़ने का आदेश दिया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नगर निगम कार्ट में तीन हजार से अधिक मामला चल रहा है।
रांची, [प्रिंस श्रीवास्तव]। Ranchi News झारखंड की राजधानी रांची में हजारों भवन अवैध हैं। हर इलाके में बिना नक्शा पास हुए भवनों को खड़ा कर दिया गया है। नोएडा में जिस प्रकार ट्विन टावर को तोड़ दिया गया उसी प्रकार शहर में भी कई ऐसे भवन हैं जिनपर कार्रवाई हो सकती है। नगर निगम ने दो सौ से अधिक भवनों को तोड़ने का आदेश तो दिया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। निगम के द्वारा जब भी भवनों को तोड़ने का आदेश दिया जाता है तो भवन के मालिक नगर निगम में केस कर देते हैं। केस लंबित हो जाता है और मामला वहीं का वहीं दबा रह जाता है।
लोग नक्शा पास कराने के लिए सामने नहीं आते हैं: निगम
रांची नगर निगम का कहना है कि नगर विकास विभाग से हर बार ऐसा बिल पास होकर आता है कि लोग नक्शा पास कराने के लिए सामने नहीं आते हैं। इस प्रकार शर्त रखा जाता है कि लोग वह पूरा नहीं कर पात हैं। ऐसे में भवन अवैध हो जाता है। वर्ष 2011 में नगर निगम ने नक्शा को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया था। निगम ने प्रस्ताव में कहा था कि जो भी भवन बन गए हैं उनका नक्शा उसी हाल में पास कर देने चाहिए। वर्ष 2013 के बाद बिना नक्शा पास किए हुए भवन का निर्माण नहीं होना चाहिए। इसपर विभाग ने प्रस्ताव को देखते हुए बिल पास किया था। लेकिन यह काफी कठीन था इस वजह से सिर्फ साढ़े सात सौ लोगों ने अपने भवनों का नक्शा पास कराया। निगम ने फिर से वर्ष 2018 में प्रस्ताव भेजा था। इस बार सिर्फ साढ़े तीन सौ लोगों ने नक्शा पास कराया।
निगम का कहना है कि प्रस्ताव को काफी सरलता से तैयार किया गया था। निगम का प्रस्ताव पास कर दिया जाता तो किसी को भी परेशानी नहीं होती। लेकिन प्रस्ताव में बदलाव कर उसे जटिल कर दिया जाता है।
रांची नगर निगम ने एक होटल पर ढाई करोड़ से अधिक का लगाया है जुर्माना
रांची के हिनू चौक पर स्थित होटल एमराल्ड पर रांची नगर निगम ने ढाई करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। लेकिन यह मामला नगर आयुक्त के कोर्ट में चल रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि नगर निगम के पास ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है कि रेसिडेंशियल प्लाट को कमर्शियल प्लाट बना दिया जाए। इसके बाद भी निगम खानापूर्ति करने के लिए ऐसा कार्रवाई करता है। वर्षों से यह मामला लंबित है। इसके अलावा निगम ने अपर बाजार के कई दुकानों को सील करने का आदेश दिया था जिसका नक्शा पास नहीं था। भारी विरोध होने पर इस मामले में नगर निगम कोर्ट में मामला दर्ज हुआ। इस मामले में सुनवाई जारी है।
ऐसे लापरवाही करते हैं नगर निगम के अधिकारी
1. शहर में रहने वाले लोगों को पता है कि नक्शा पास कराने में काफी परेशानी होती है। इस वजह से लोग अपनी सुविधा के अनुसार खुद ही अपनी मर्जी के नक्शा से भवन का निर्माण करा लेते हैं। निगम के अधिकारियों को इसकी जानकारी होती है लेकिन फिर भी वह चुप्पी साधे रहते हैं। किसी इलाके में भवन का निर्माण होता है तो इसकी जिम्मेवारी जुनियर इंजीनियर की होती है। लेकिन जुनियर इंजीनियर की मिली भगत से अवैध निर्माण लगातार जारी है।
2. नगर निगम के टाउन प्लानर की जिम्मेवारी होती है कि जिस नक्शा को पासा किया जाता है वहां वह समय समय पर जाकर भवन का निरीक्षण करेंगे। लेकिन टाउन प्लानर उस स्थान पर नहीं जाते हैं इस वजह से नक्शा कुछ और पास होता है और निर्माण कुछ और हो जाता है।
3. जेई और टाउन प्लानर जो रिपोर्ट तैयार करते हैं उसी रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम के अधिकारी उसे पास कर देते हैं। निगम का कोई अधिकारी फील्ड में नहीं जाता है इस वजह से शहर के हर इलाके में भवनों के निर्माण में गड़बडी हो गई है।
नगर निगम को हर माह करोड़ों का होता है नुकसान
नगर निगम को हर माह करोड़ों का नुकसान होता है। निगम वैसे लोगों को चिन्हित नहीं कर पाती है जिन्होंने बिना नक्शा के घर बनाया है। ऐसे में निगम को यह जानकारी नहीं मिल पाती है कि शहर में कितने लोग रह रहे हैं। कितने भवन हैं। कितनी आबादी है। लोगों को बिना नक्शा के पानी का कनेक्शन नहीं मिल पाता है।
तीन हजार से अधिक मामलों की चल रही है सुनवाई
उप नगर आयुक्त रजनीश कुमार का कहना है कि रांची नगर निगम के कोर्ट में तीन हजार से अधिक मामलों की सुनवाई चल रही है। होटल एमराल्ड पर ढाई करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। अपर बाजार के कई दुकानों को भी सील करने का आदेश दिया गया है जिसकी सुनवाई चल रही है।
लोग नगर निगम में आने से डरते हैं: उप महापौर
उप महापौर संजीव विजयवर्गीय का कहना है कि नगर निगम के द्वारा नक्शा के विवाद को खत्म करने के लिए कई बार प्रस्ताव तैयार कर विभाग को भेजा गया है। लेकिन विभाग के द्वारा प्रस्ताव पर विचार तो किया जाता है, लेकिन उसे ऐसा जटिल कर भेजा जाता है कि लोगों को और समस्या हो जाती है। लोग निगम में आने से डरते हैं।