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Ranchi News: रिम्स को नहीं मिल रहे सीनियर रेजिडेंट डॉक्‍टर, 30 विभागों के लिए नहीं आया कोई उम्मीदवार

RIMS Recruitment रिम्स रांची को सीनियर रेजिडेंट डॉक्‍टर नहीं मिल रहे हैं। हाल में ही इनकी नियुक्ति के लिए हुए इंटरव्‍यू में 30 विभागों में एक भी उम्मीदवार नहीं पहुंचा। जिन विभागों के लिए उम्मीदवार पहुंचे वहां भी 54 में से 23 पद खाली रह गए हैं केवल 31 सीनियर रेजिडेंट डॉक्‍टर का ही चयन हुआ। डेंटल में भी स्थिति खराब ही रही।

By Anuj tiwari Edited By: Prateek Jain Updated: Wed, 17 Jul 2024 02:31 PM (IST)
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रिम्स के 30 विभागों में सीनि‍यर रेजिडेंट डॉक्‍टर पद के लिए एक भी उम्‍मीदवार नहीं आया। (फाइल फोटो)

अनुज तिवारी, रांची। राज्य के प्रीमियम इंस्टीच्यूट कहे जाने वाले रिम्स को सीनियर रेजिडेंट (एसआर डाक्टर) नहीं मिल रहे हैं। अभी हाल में ही इनकी बहाली के लिए हुए साक्षात्कार में 30 विभागों में एक भी उम्मीदवार नहीं पहुंचा। जिन विभागों में उम्मीदवार पहुंचे वहां 54 पदों में से 23 पद रिक्त रह गए हैं, सिर्फ 31 एसआर (सीनियर रेजिडेंट) का चयन हुआ।

रिम्स के विभिन्न विभागों के लिए 150 पदों में बहाली होनी थी, जिसके लिए मात्र 65 उम्मीदवार ही साक्षात्कार के लिए पहुंचे। दूसरी ओर डेंटल कालेज के आठ विभिन्न विभागों के लिए 10 पदों पर बहाली की जानी थी। इनमें सिर्फ तीन विभागों के लिए 18 उम्मीदवार पहुंचे।

160 पदों के लिए 83 उम्मीदवार इंटरव्‍यू देने पहुंचे

कुल मिलाकर देखा जाए तो कुल 160 पदों के लिए 83 उम्मीदवार ही साक्षात्कार के लिए रिम्स आए। ये उम्मीदवार मेडिकल में पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद एसआर के लिए योग्य थे, लेकिन इस तरह से छात्रों की रुचि नहीं दिखना चिंता का विषय बना हुआ है।

एनएमसी के नियमों के अनुसार, अगर पीजी के बाद एसआर शीप नहीं की गई तो उनका फैकल्टी बनना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही इनकी कमी की वजह से अस्पताल के सीनियर डाक्टरों पर वर्क लोड अधिक होने से मरीजों के इलाज में समस्या आ सकती है। प्रबंधन ने बताया कि कुछ विभागों का रोस्टर क्लियर नहीं होने की वजह साक्षात्कार फिर से लिया जाएगा। 

रिम्स से पीजी करने वाले रिम्स से नहीं कर पाते एसआरशिप

मालूम हो कि राज्य के छह मेडिकल कालेजों में से सभी विषयों में पीजी की पढ़ाई सिर्फ रिम्स में होती है, जबकि जमशेदपुर मेडिकल कॉलेज में कुछ विषयों में पीजी की पढ़ाई शुरू की गई है। रिम्स से पीजी करने वाले जूनियर डाक्टर एसआर के लिए आवेदन ही नहीं कर सकते हैं।

सरकारी बांड के अनुसार पीजी के बाद इन छात्रों को तीन वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा देनी होती है, जो अनिवार्य किया गया है। अगर ये सेवा नहीं देते हैं तो इन्हें करीब 60 लाख रुपये का आर्थिक दंड देना होता है। ऐसी स्थिति में ये चाह कर भी अपने संस्थान से एसआर पद के लिए ज्चाइन नहीं कर सकते।

ऐसी स्थिति में रिम्स के पास झारखंड में कोई ऐसा मेडिकल कालेज नहीं है, जहां से एसआर के लिए छात्र मिल सके। कुछ विभागों के लिए जमशेदपुर से छात्र आते हैं जबकि बिहार से कुछ छात्र मिल जाते हैं। क्यों नहीं मिल रहे डाक्टर डाक्टरों का कहना है कि रिम्स की प्रसिद्धि कम है।

इससे देश के विभिन्न मेडिकल कालेजों के पीजी पास करने वाले छात्र यहां पर एसआर पद के लिए दिलचस्पी कम दिखाते हैं। उन्हें लगता कि यहां पर काम करने से उनका मूल्यांकन कम किया जाएगा। यहीं अगर वे लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, पटना जैसे मेडिकल कालेजों में काम करने पर ज्यादा प्रसिद्धि मिलेगी।

रिम्स पीआरओ डा. राजीव रंजन जानकारी देते हुए बताते हैं कि इसी वजह से एनाटामी विभाग में छह एसआर की जरूरत थी, जिसके लिए सिर्फ एक उम्मीदवार ही आया। इस तरह से अब पांच सीटें खाली रह गई है। जबकि रिम्स से पीजी किए हुए छात्रों को बांड के तहत उन सदर अस्पतालों में ड्यूटी दी जा रही है जहां पर एनाटामी की जरूरत तक नहीं है। 

किन प्रमुख विभागों में नहीं आए एसआर 

मेडिसिन, नेफ्रोलाजी, मनोचिकित्सा, आर्थोपेडिक, सहित विभिन्न विभाग शामिल हैं। साक्षात्कार के लिए सबसे अधिक उम्मीदवार गायनी विभाग में आए थे, जहां सात पदों पर एसआर का चयन कर लिया गया है।

साथ ही पीएसएम विभाग के सभी तीन पदों पर बहाली हुई, ब्लड बैंक में भी एक ही पद था जिस पर चयन कर लिया गया है। इस तरह से सिर्फ तीन विभाग ही ऐसे हैं जहां शत-प्रतिशत बहाली हुई।

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