Move to Jagran APP

अपने ही मुखबिर के हत्यारों को नहीं पकड़ पाई रांची पुलिस, केस कर दिया बंद; सीएम आवास से चंद कदमों की दूरी पर हुआ था कांड

Ranchi Police रांची पुलिस ने अपने मुखबिर बुधु दास का केस साक्ष्य के आभाव में बंद कर दिया है। पुलिस को शूटर का नाम पता मिल गया था लेकिन छह साल में पुलिस शूटर तक नहीं पहुंच पाई। मुख्यमंत्री आवास स्पीकर आवास गोंदा थाना और रांची पुलिस लाइन जैसे संवेदनशील जगह के पास सरेराह हुई हत्या के बाद पूरा विभाग सक्रिय हो गया था लेकिन पुलिस को कुछ नहीं मिला।

By prince kumarEdited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 15 Dec 2023 12:03 PM (IST)
Hero Image
अपने ही मुखबिर के हत्यारों को नहीं पकड़ पाई रांची पुलिस, केस कर दिया बंद
प्रिंस श्रीवास्तव, रांची। रांची पुलिस की कार्यशैली पर फिर से सवाल उठने लगा है। पुलिस अपने ही मुखबिर बुधु दास के हत्यारों को नहीं खोज पाई है। छह साल तक अनुसंधान जारी है कि बोत बोलकर अंत में साक्ष्य के अभाव में केस बंद कर दिया गया। पुलिस को शूटर का नाम पता मिल गया था, लेकिन छह साल में पुलिस शूटर तक नहीं पहुंच पाई।

शूटर पीएलएफआइ के लिए काम कर रहा है लेकिन पुलिस ने केस बंद कर यह साबित कर दिया कि वह शूटर को पकड़ने में सफल नहीं हो सकती है। 7 सितंबर 2018 की रात मुख्यमंत्री आवास से चंद कदमों की दूरी पर रांची पुलिस के मुखबीर बैजनाथ दास उर्फ बुधु दास की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

मुख्यमंत्री आवास, स्पीकर आवास, गोंदा थाना और रांची पुलिस लाइन जैसे संवेदनशील जगह के पास सरेराह हुई हत्या के बाद पूरा विभाग सक्रिय हो गया था लेकिन अंत में पुलिस को कुछ नहीं मिला। पुलिसिया तफ्तीश ने रांची पुलिस के अनुसंधान की भी पोल खोल दी। अपने ही मुखबीर के हत्या से जुड़े सनसनीखेज हत्याकांड के मुख्य आरोपी को सजा दिलाने में नाकाम साबित हुई। पुलिस सबूत जूटाने में नाकाम रही। गवाहों के बयान से भी आरोपियों को राहत मिली।

ऐसे हुई थी घटना

रांची में नक्सल गतिविधियों की सूचना जुटाने का काम बुधु दास किया करता था। इसके बदले उसे रांची समहरणालय में कैंटिन चलाने की सुविधा दी गई थी। घटना के दिन रात आठ बजे बुधु दास अपनी पत्नी सुकुरमणि देवी को लेकर कैंटिन से पुलिस लाइन स्थित घर जा रहा था। स्कूटी से दोनों जैसे ही पुलिस लाइन के गेट के बाहर पहुंचे पहले से वहां घात लगाए बैठे तीन युवकों ने बुधु की गोली मारकर हत्या कर दी।

पत्नी के बयान पर केस हुआ और उसने पुलिस को बताया कि बुंडू के बस स्टैंड को लेकर उसके पति की हत्या हुई है। बुंडू बस स्टैंड का टेंडर कई वर्षों से बैजनाथ दास को ही मिल रहा था। जिसकी वजह से वहां के कई लोग उससे नाराज चल रहे थे। बुंडू का रहने वाला बबलू कुम्हार ने इसी रंजिश में छह लाख रुपये सुपारी देकर हत्या करवाई है।

बबलू हुआ गिरफ्तार लेकिन साक्ष्य नहीं जूटा पायी पुलिस

इस हत्याकांड में गोंदा पुलिस ने मुख्य आरोपी बबलू कुम्हार को संदेह के आधार पर छह मार्च 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने बबलू का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी थी। बबलू ने टेस्ट कराने से मना कर दिया था। बबलू के खिलाफ चार्जशीट फाइल हुई। लेकिन आरोपित कोर्ट से बरी हो गया।

ऐसे फेल हुई रांची पुलिस की जांच

मुख्यमंत्री आवास के समीप हत्या के बावजूद पुलिस को अनुसंधान में कुछ भी हासिल नहीं हुआ। शुरूआत में पुलिस ने शक के आधार पर धनंजय मुंडा समेत कुछ अन्य मुखबिर को हिरासत में लिया था। बबलू को भी हिरासत में लिया गया था लेकिन उस वक्त छोड़ दिया गया था।

सीसीटीवी से कुछ हासिल नहीं हुआ। हाईप्रोफाइल सिक्योरिटी जोन में लगे सीसीटीवी कैमरे काफी कम रिजाल्यूशन के थे, ऐसे में तस्वीरों से कुछ खास हासिल नहीं हुआ। पुलिस तकनीकी साक्ष्य जुटाने में असफल रही।  हत्याकांड में मुख्य गवाह सुकरमणि देवी कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई। चार्जशीट में जिन गवाहों का नाम दर्ज था, उन्होंने कोर्ट को बताया कि अनुसंधान में पुलिस ने उनका बयान ही नहीं लिया था।

बगैर बयान लिए चार्जशीट में उनका नाम दर्ज कर दिया गया।  पीएलएफआई उग्रवादी दाउद तिर्की को नहीं पकड़ पाई पुलिस बुधु हत्याकांड में रांची पुलिस की जांच में खुलासा हुआ था कि इस हत्याकांड के पीछे पीएलएफआई उग्रवादी दाउद तिर्की का हाथ है। वह तमाड़ में रहता है। लेकिन पुलिस दाउद को पकड़ने में नाकाम रही। पुलिस को एक और आरोपित टुनु खान पर पुलिस को शक था। टुनु के खिलाफ जांच हुई लेकिन उसके खिलाफ कोई सबुत नहीं मिला।

ये भी पढ़ें -

एचईसी प्रबंधन ने 21 कर्मचारियों का क्यों किया ट्रांसफर? दर्जनों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे का मामला, पढ़िए पूरा हिसाब-किताब

झारखंड के सांसद ने की रेल मंत्री से मुलाकात, अश्विनी वैष्णव ने कहा- हर हाल में शुरू होगी टाटा-बक्सर ट्रेन

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।