Move to Jagran APP

RIMS Ranchi: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का बुरा हाल... इमरजेंसी में भी घंटों इंतजार

Ranchi RIMS झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इमरजेंसी सेवा लेने में मरीजों का दम फुल जा रहा है। औसतन एक मरीज का इलाज शुरू होने में आधे घंटे से 40 मिनट का समय लग जाता है। ऐसे में गंभीर मरीजों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो रही है।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Sat, 28 May 2022 10:30 AM (IST)
Hero Image
Ranchi RIMS: रिम्स अस्पताल में इमरजेंसी सेवा का हाल बेहाल।
रांची, जासं। Ranchi RIMS झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में आपताकालिन सेवा लेने में मरीजों का दम फुल जा रहा है। औसतन एक मरीज का इलाज शुरू होने में आधे से 40 मिनट का समय लग जाता है। ऐसे में गंभीर मरीजों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लेकिन इस पर प्रबंधन कोई ठोस पहल नहीं करता। जिस आपाधापी के साथ मरीजों को लेकर परिजन रिम्स पहुंचते हैं ठीक इसके विपरीत इलाज में विलंब होता है। एंबुलेंस से नीचे उतारने के बाद गेट पर खड़े गार्ड स्ट्रेचर लेकर खड़े रहते हैं। मरीज को इमरजेंसी कक्ष में ले जाया जाता है। यहीं पर समय अत्यधिक लगने के कारण मरीज की स्थिति दयनीय होती चली जाती है। इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर मरीज लेटा होता है और परिजन पर्ची कटाने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। इस पुरी प्रक्रिया में 40 मिनट तक का समय लग जाता है। इसी तरह की व्यवस्था शुक्रवार को रिम्स में देखने को मिली।

समय पर इलाज न होने से मौत

रामगढ़ के भुरकुंडा से अपनी 22 वर्षीय बेटी को लेकर आई लक्ष्मी देवी गेट के बाहर दहाड़ मारकर रोती नजर आई। रो- रोकर कह रही थी यह अस्पताल गरीबों के लिए नहीं है। कोई गरीबों की नहीं सुनता है। समय पर इलाज नहीं होने से फूल सी बेटी की मौत हो गई। उनकी बेटी एनिमिया से जूझ रही थी, जिसे सबुह दस बजे रिम्स इलाज के लिए लाया गया। बिना पर्ची का इलाज नहीं हो पाता, जिसे कटाने में काफी वक्त लगा। 11 बजे इलाज शुरु हुआ। एक घंटे में युवती की स्थिति गंभीर होती चली गई ओर उसने दम तोड़ दिया। इस बीच वेंटीलेटर की सुविधा मिली भी तो काफी विलंब से। सांस फूलता गया और मां की आंखों के सामने दम तोड़ दिया।

एक दिन देखने को मिल रहे कई मामले

इसी तरह के कई मामले एक दिन देखने को मिले। जिसमें सरायकेला के नीमडीह सालोन निवासी मंजूरा महतो 11 बजे रिम्स पहुंचे। लेकिन उन्हें भी भर्ती के लिए पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा और घंटो गेट बाहर इंतजार करते रहे। दूसरी ओर न्यूरो ओपीडी डा सुरेंद्र कुमार से दिखाने देवघर से मो शहाबुद्दीन सुबह छह बजे रिम्स पहुंचे, लेकिन दिन के 12 बजे तक उनके परिजन का इलाज नहीं हो पाया।

फर्श पर मरीजों का हो रहा इलाज

सबसे बड़े अस्पताल कहे जाने वाले रिम्स में अभी भी अधिकतर मरीजों का इलाज फर्श ही किया जा रहा है। कोरिडोर में मरीजों का इलाज होता है, जिससे दूसरे मरीजों के वार्ड में आने-जाने में समस्या आती है। फर्श में ही जगह-जगह स्लाइन का स्टैंड लगा है। लोगों की भीड़ से ना मरीजों को राहत है और न ही उनके परिजनों को। गिरीडीह स्थित सरिया के मरीज बद्री यादव का इलाज कराने पहुंचे परिजन ने बताया कि जमीन पर इलाज करने से हमेशा संक्रमण फैलने का डर बना रहता है, लेकिन बताया जाता है कि बेड ही नहीं है। हुलहुंडु से अपनी एक वर्षीय बच्ची का भी इलाज फर्श पर हो रहा है, लेकिन उसे शिशु वार्ड में भी भर्ती नहीं कराया गया।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।