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Chandrayaan 3 मिशन में रांची के वैज्ञानिक सोहन यादव भी शामिल, पिता हैं ट्रक ड्राइवर, ISRO में सात साल से जुड़े

Chandrayaan 3 Launch आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भरेगा। यह देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इसे साकार बनाने में वैज्ञानिकों की एक पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत की है। इस टीम में रांची से ताल्‍लकु रखने वाले वैज्ञानिक सोहन यादव भी शामिल हैं। उनके पिता ट्रक ड्राइवर हैं और मां गृहिणी है। उन्‍होंने सरस्‍वती शिशु मंदिर से पढ़ाई की है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 14 Jul 2023 03:00 PM (IST)
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रांची के सोहन यादव चंद्रयान 3 की टेस्टिंग टीम में शामिल।
जासं रांची। Ranchi News, Scientist Sohan Yaday: चंद्रयान-3 मिशन में रांची के तोरपा क्षेत्र के तपकरा गांव निवासी वैज्ञानिक सोहन यादव भी जुड़े हैं। इसरो में कार्यरत सोहन आर्बिटर इंटिग्रेशन और टेस्टिंग टीम में शामिल हैं। सोहन मिशन गगनयान से भी जुड़े हैं। सोहन ने 15 दिन पहले फोन कर अपनी मां देवकी देवी व भाई गगन यादव से बात की थी। चंद्रयान-3 को लेकर सोहन काफी उत्साहित थे।

बेटे की कामयाबी के लिए मां गईंं वैष्‍णो देवी

मां को फोन पर उन्‍होंने कहा था कि अब 15 दिन बाद चंद्रयान-3 के परीक्षण के बाद बात हो पाएगी। मां देवकी देवी व भाई गगन यादव चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण व बेटे की कामयाबी की कामना लेकर मां वैष्णो देवी के मंदिर गए हैं। दोनों लाॅन्चिंग के दिन शुक्रवार को ही माता के दर्शन करेंगे।

पिता हैं ट्रक ड्राइवर, छोटे से गांव से सपनों की भरी उड़ान

सोहन के पिता घूरा यादव ट्रक ड्राइवर हैं, जबकि मां गृहणी। सोहन तपकरा जैसे छोटे से गांव में पढ़ाई कर वैज्ञानिक बने हैं। उन्होंने तपकरा स्थित शिशु मंदिर में प्राथमिक शिक्षा हासिल की है। पिछले सात वर्षों से वह इसरो से जुड़े हैं।

चंद्रयान-3 के मिशन में रांची की भूमिका है अहम

गौरतलब है कि देश को गौरवान्वित करने वाले चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में रांची की भी भूमिका अहम है। इसके लॉन्चिंग पैड की डिजाइन रांची स्थित संस्थान मेकन ने तैयार किया है, जबकि 84 मीटर ऊंचे लॉन्चिंग पैड का निर्माण भी रांची के एचईसी में ही हुआ है। ऐसे में रांची वासियों के लिए यह दोगुनी खुशी और गौरव का पल है।

बता दें कि चंद्रयान-3 2:35 बजे चंद्रमा की ओर जाने के लिए पृथ्वी से उड़ान भरेगा और करीब 45 से 50 दिन की यात्रा करने के बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। इस मिशन का मकसद चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग हासिल करने में भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है।

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