Ranchi University: रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो अजीत कुमार सिन्हा ने बताया- पीएचडी डिग्री का क्या है महत्त्व
Ranchi University रांची यूनिवर्सिटी के रेडियो खांची 90 दशमलव 4 एफएम एवं जंतु विज्ञान विभाग ने एक दिवसीय कार्यशाला अवसर कलात्मक अनुसंधान के लिए लेखन कौशल में वृद्धि... का आयोजन किया। इस दौरान कुलपति प्रो अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि पीएचडी डिग्री का महत्त्व क्या है।
रांची, जासं। Ranchi University पीएचडी मात्र एक डिग्री नहीं है, बल्कि समाज में कौन सी चुनौतियां हैं जिनका समाधान रिसर्च द्वारा किया जा सकता है, उसका यह एक विज्ञानी दृष्टिकोण भी है। अक्सर विज्ञानी शोध से सामान्य लोग अपने आप को अलग कर लेते हैं। जिस कारण लोगों में सामान्य विज्ञानी सोच की कमी हो जाती है। उन्होंने विज्ञान प्रसार एवं डीएसटी को बधाई देते हुए कहा कि विज्ञानी लेख के अलावे जन सामान्य की भाषा में विज्ञान को लिखने की कला विकसित करने के लिए अवसर वर्कशाप बहुत लाभदायक होगा। उक्त बातें एक दिवसीय कार्यशाला अवसर, कलात्मक अनुसंधान के लिए लेखन कौशल में वृद्धि... के दौरान कुलपति प्रो अजीत कुमार सिन्हा ने कही।
कुलपति ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि सरकार के पास रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए पैसे की कमी नहीं है। कमी है तो हमारा और आपका प्रयास...। उन्होंने कहा कि सभी शोधकर्ताओं को पूरी दुनिया में चल रहे नए विज्ञानी दृष्टिकोण को पढ़ना और उसे समझ कर उस पर काम करना चाहिए। उन्होंने इस वर्कशाप के आयोजन के लिए रेडियो खांची की टीम और जंतु विज्ञान विभाग रांची विश्वविद्यालय की प्रशंसा की।
आरयू की प्रति कुलपति प्रोफेसर डा कामिनी कुमार ने विज्ञान लेखन के महत्व को उदाहरण सहित समझाया। उन्होंने कहा कि आज विभिन्न माध्यमों अखबार, पत्र-पत्रिका, टेलीविजन, रेडियो और वेब मीडिया में विज्ञानी विषयों पर जन-उपयोगी लेखों आडियो पाडकास्ट तथा डाक्यूमेंट्री एक्सपर्ट की कमी है। इस क्षेत्र में विज्ञान के विद्यार्थी पीएचडी करने के साथ-साथ आलेख लिखकर अपनी पहचान बना सकते हैं।
250 पीएचडी शोधकर्ताओं ने कराया था रजिस्ट्रेशन
रांची यूनिवर्सिटी के रेडियो खांची 90.4 एफएम एवं जंतु विज्ञान विभाग ने एक दिवसीय कार्यशाला अवसर, कलात्मक अनुसंधान के लिए लेखन कौशल में वृद्धि... का आयोजन किया। इस अवसर पर आरयू के कुलपति प्रो अजीत कुमार सिन्हा मुख्य अतिथि एवं प्रति-कुलपति प्रोफेसर डा कामिनी कुमार सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यशाला का उदघाटन दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। सभी अतिथियों और रिसोर्स पर्सन का स्वागत पौधे का गमला एवं स्मृति चिन्ह देकर किया गया। कार्यक्रम में 140 से ज्यादा पीएचडी एस्कालर्स शामिल हुए। जो झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों से ही नहीं बल्कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा और आसनसोल से भी आए थे। इस वर्कशाप के लिए लगभग 250 पीएचडी शोधकर्ताओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था। उनके लिए यू ट्यूब लाइव की व्यवस्था की गई थी। सभी अतिथियों का स्वागत प्रो कुणाल कंदीर, डीन विज्ञान विभाग एवं हेड डिपार्टमेंट आफ बाटनी ने किया।
ये रहे एक्सपर्ट व्यू...
- कार्यशाला के रिसोर्स पर्सन डा मानस प्रतिम दास ने कई उदाहरण को सामने रखकर पीएचडी शोधकर्ताओं को यह बताया कि सामान्य लोगों के लिए विज्ञानी सूचनाओं को किस प्रकार से लिखा जाता है लेखन में क्या रखना है क्या हटाना है यह लगातार अभ्यास के उपरांत विकसित हो जाता है। उन्होंने बताया किस क्षेत्र में साइंस कम्युनिकेशन का कोर्स भी कराया जाता है। विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा करियर का अवसर रहता है। उन्होंने कहा लेखक को एक अच्छा रीडर होना चाहिए तभी उसके पास शब्दों का संकलन मुहावरे लोक प्रचलन वाली बातें रहती हैं।
- कार्यक्रम में 2021 की अवसर अवार्डी डा स्वाधीना कोली ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा क्लिक वही हो सकता है जो लगातार किताबों को पढ़ता पढ़ाता है। उन्होंने कहा कि जिन भाषाओं का उपयोग करके हम सामान्य लोगों से बातें करते हैं उसी भाषा में उसी प्रकार से हमें लिखना भी चाहिए और उसकी प्रस्तुति कैसी हो इस पर ध्यान देने से रोचक लेखन होता है।
- विज्ञान प्रसार डीएसटी भारत सरकार के प्रतिनिधि सह विज्ञानी डा भारत भूषण विज्ञानी ने सभी पीएचडी स्कालर और अतिथियों को अवसर साइंटिफिक राइटिंग के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी और नेशनल काउंसिल फार साइंस कम्युनिकेशन डीएसटी लगातार इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है। इसका नतीजा यह है कि हर साल अवसर सेंटर की राइटिंग प्रतियोगिता में विद्यार्थियों की प्रतिभागिता बढ़ रही है। उन्होंने बताया अवसर डीएसटी की वेबसाइट पर जाकर लाग-इन करके इच्छुक पीएचडी स्कालर विज्ञानी कहानियां लिखकर 30 अगस्त तक जमा कर सकते हैं। जिसके जरिये टाप-100 विज्ञानी कहानियाें को पुरस्कृत किया जाएगा।
शोधार्थियों ने जताया आभार...
सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन जंतु विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डा स्नेहलता सिंह ने किया। उन्होंने डा आनंद कुमार ठाकुर सहायक प्राध्यापक जंतु विज्ञान विभाग सह रेडियो खाची 90.4 एफएम रांची विश्वविद्यालय के निदेशक को सफलतापूर्वक आयोजन की बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डा आनंद कुमार ठाकुर ने किया। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही रिव्यू राइटिंग और मेटानालिसिस विषय पर भी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में शामिल हुए पीएचडी शोधार्थियों ने इसको बहुत ही सफल बताया और नई जानकारियों तथा आयोजन के लिए आरयू के कुलपति के प्रति आभार प्रकट किया।
ये रहें मौजूद...
इस वर्कशाप में डा राजकुमार शर्मा डीएसडब्ल्यू, डा आशीष झा परीक्षा नियंत्रक, प्रोफेसर जी ओझा डीन मानविकी, डा एके डेल्टा हेड रसायन विभाग, डा सुहासिनी बेसरा, डा वंदना कुमारी, डा नयनी सक्सेना, डा सीमा केसरी, डा नीता लाल, डा रोहित कुमार श्रीवास्तव, डा सोनी तिवारी, डा निवेदिता मुनमुन, डा राजकुमार सिंह, डा नमृता सिंह, डा अशोक सिंह सहित शिक्षकेतर कर्मचारी उपस्थित थे।