Ranchi Violence: मेरे इकलौते बेटे को क्यों गोली मार दी, उसका क्या कसूर था? मुदस्सिर के चाचा ओवैसी की पार्टी के जिलाध्यक्ष
Ranchi Violence रांची हिंसा में मारे गए मुदस्सिर और साहिल के परिजनों ने पुलिस फायरिंग पर सवाल उठाए हैं। मुदस्सिर अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने रांची हिंसा में 2 मौतों की पुष्टि की है।
By Alok ShahiEdited By: Updated: Sun, 12 Jun 2022 07:53 AM (IST)
रांची, जेएनएन। Ranchi Violence झारखंड की राजधानी रांची में हिंसक प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से 2 लोगों की मौत हुई है। बीते दिन गोली लगने से घायल मुदस्सिर आलम और साहिल की इलाज के दौरान मौत हो गई। गोली लगने के बाद इन दोनों को रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने रांची हिंसा में 2 मौतों की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि रांची हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भी फायरिंग की है। इस दौरान 12 पुलिसकर्मी और 12 प्रदर्शनकारी घायल हुए। एक पुलिसकर्मी को बुलेट इंज्यूरी है। होमकर के मुताबिक अस्पताल में इलाजरत 22 घायलों में से दो-तीन लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक बाकी लोग ठीक हैं। रांची हिंसा में जान गंवाने वाले हिंदपीढ़ी इलाके के मुदस्सिर आलम के सिर में गोली लगी थी। वह अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। बेटे की मौत के बाद उसके पिता परवेज आलम, उसकी मां निकहत का रो-रोकर बड़ा बुरा हाल है।
मां-बाप ने कहा, मेरा बेटा बहुत मिलनसार था...रांची हिंसा में जान गंवाने वाले मुदस्सिर के मां-पिता ने बताया कि वह मेरा इकलौता बेटा था। गरीबी के कारण हम उसे ठीक से पढ़ा नहीं पाए लेकिन मेरा बेटा बहुत मिलनसार था। सबसे मिलजुल कर रहता था। उसे क्यों गोली मार दी, उसका क्या कसूर था। मृतक मुदस्सिर के चाचा मोहम्मद शाहिद एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं। उन्होंने बताया कि उनके भतीजे की मौत के लिए झारखंड सरकार और रांची जिला प्रशासन जिम्मेवार है। आरोप लगाया कि मुदस्सिर की मौत पुलिस की गोली से हुई है। प्रदर्शनकारी न तो आतंकवादी थे, न उग्रवादी। फिर उन पर गोलियां क्यों चलाई गई। आरोप लगाया कि पुलिस एके-47 और पिस्टल से गोली चला रही थी।
रांची हिंसा में साहिल की मौतरांची हिंसा में मुदस्सिर के अलावा एक और युवक साहिल की भी मौत हुई है। रिम्स अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक उसे किडनी में गोली लगी थी, जिसके चलते उसे तमाम प्रयास के बावजूद बचाया नहीं जा सका। साहिल के परिजनों ने बताया कि वह जीवन यापन के लिए मेन रोड, डेली मार्केट की एक दुकान में काम करता था। काम से लौटने के क्रम में उसे गोली लग गई। स्वजनों का आरोप है कि विरोध मार्च में उग्र लोगों पर अश्रु गैस या रबर बुलेट चलाने के बदले सीधे फायरिंग का आदेश दे दिया गया। हेमंत सोरेन सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि गोली चलाने वाले पुलिस वालों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करवाना चाहिए।
पुलिस ने सूझ-बूझ से कराया दोनों मृतकों के शवों को सुपुर्द ए खाकपुलिस ने सूझबूझ के साथ रांची हिंसा के दोनों मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार कराया। मृतकों के परिवार व मोहल्ले में आक्रोश के बावजूद पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच कैफी उर्फ मुदस्सिर के शव का अंतिम संस्कार हिंदपीढ़ी स्थित बच्चा कब्रिस्तान में कराया। जबकि साहिल के शव का अंतिम संस्कार कांटाटोली कब्रिस्तान में करवाया गया। शाहिल का शव कर्बला टैंक रोड से तीन बजे निकला। रैफ जवानों और जिला बल की पुलिस स्काट करती हुई कांटाटोली पहुंची और कड़ी सुरक्षा के बीच शव का अंतिम संस्कार कराया। इस दौरान सिटी डीएसपी दीपक कुमार, सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार, डीएसपी जीतवाहन उरांव, सदर थानेदार श्यामकिशोर महतो, लोअर बाजार थानेदार संजय कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
मृतक का शव सड़क पर रखकर किया प्रदर्शन रांची के मेन रोड में उपद्रव के दूसरे दिन शनिवार को राजधानी में सन्नाटा पसरा रहा। मेन रोड पुलिस छावनी बना रहा। इसबीच कर्बला चौक में फिर बवाल होते-होते टल गया। मृतक के शव के साथ सैंकड़ों लोग सड़क पर उतर आए और हंगामा शुरू कर दिया। लोग पुलिस की कार्रवाई का विरोध करने लगे। मोहल्लेवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या उनके प्रतिनिधि को बुलाने की मांग करने लगे। कहा कि जब तक वे नहीं आते हैं, तब तक शव दफन नहीं किया जाएगा। हालांकि ग्रामीण एसपी नौशाद आलम, सहित अन्य अधिकारियों ने लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराने की कोशिश की। लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे।
पांच घंटे तक सड़क पर रखा रहा मृतक का शवसुबह छह से दिन के ग्यारह बजे तक लोग सड़क पर ही जमे रहे। इस दौरान पूर्व पार्षद मो सलाउद्दीन उर्फ संजू और कई सामाजिक संगठन व स्थानीय लोगों के साथ बैठक भी हुई। सभी अपनी मांगों पर अड़े रहे। इस बीच करीब 11 बजे राज्यसभा सांसद महुआ माजी सीएम हेमंत सोरेन का प्रतिनिधि बनकर मौके पर पहुंची। उन्होंने आक्रोशित लोगों को समझाया-बुझाया। इस दौरान मृतक के स्वजनों और प्रदर्शन कर रहे लोगों ने 50 लाख रुपये और फायरिंग की न्यायिक जांच कराने की मांग की। राज्यसभा सांसद ने उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा।
तीन बजे दफनाया मृतक का शव इसके बाद दिन के तीन बजे शव दफन करने का फैसला लिया गया। इसके बाद करीब साढ़े तीन बजे कांटाटोली कब्रिस्तान में शव को दफनाया गया। पूर्व पार्षद सलाउद्दीन ने राज्यसभा सांसद के समक्ष कहा अनियंत्रित भीड़ पर पुलिस को लाठीचार्ज कर नियंत्रित करना चाहिए था। आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन से नियंत्रण करना चाहिए था। लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को प्वाइंट करते हुए फायरिंग की। इसकी वजह से मौत हो गई। सरकार को इस पूरे मामले की जांच करानी चाहिए।
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