Ranchi Weather: आज से गर्मी से मिलेगी थोड़ी राहत, 6 सितंबर तक ऐसा रहेगा मौसम; इन इलाकों में येलो अलर्ट जारी
Jharkhand Weather Update राजधानी रांची समेत पूरे राज्य का मौसम इन दिनों पसीना छुड़ा रहा है। जारी पूर्वानुमान के अनुसार 1 से 6 सितंबर तक कहीं-कहीं हल्की व मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके बाद तापमान में गिरावट आएगी। इस वर्ष रांची में 31 अगस्त तक 815.4 मिमी वर्षा होने की संभावना थी लेकिन 489 मिमी वर्षा ही रिकॉर्ड की गई है।
जागरण संवाददाता, रांची : राजधानी रांची समेत पूरे राज्य का तापमान बढ़ने लगा है। दिन भर की तेज धूप ने लोगों का पसीना निकाल दिया, जबकि कुछ दिनों पूर्व तक हुई वर्षा के कारण राजधानी का न्यूनतम तापमान 20 डिग्री के आसपास था।
तापमान कम होने पर रात में लोगों ने चादर तक निकाल ली थी। दिन में तपती धूप ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी। वहीं, रात्रि पहर में भी गर्मी से लोगों को जेठ का एहसास हो रहा है।
मौसम विज्ञान केंद्र रांची से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 1 से 6 सितंबर तक कहीं-कहीं हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना है। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि तापमान में गिरावट होगी।
कहां होगी बारिश?
पूर्वानुमान के अनुसार, 1 सितंबर को राज्य के दक्षिण पश्चिमी हिस्से यानी पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा व सरायकेला खरसावां में कहीं-कहीं हल्की वर्षा हो सकती है।
2 सितंबर को उत्तर पूर्वी यानी देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा, गिरिडीह व साहेबगंज के साथ साथ मध्य भाग यानी रांची, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, गुमला व खूंटी में हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा हो सकती है।
इन क्षेत्रों में मौसम विभाग ने मेघ गर्जन व वज्रपात को लेकर येलो अलर्ट भी जारी किया है। 3 और 4 सितंबर को राज्य के कई स्थानों पर मेघ गर्जन के साथ मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना है।
पूरे राज्य में 36 प्रतिशत कम वर्षा की गई रिकॉर्ड
बता दें कि इस वर्ष भी राज्य में मानसून ने दगा दे दी है। विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार, पूरे राज्य में 36 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
वहीं, राजधानी रांची की बात करें तो 31 अगस्त तक 815.4 मिमी वर्षा होने की संभावना थी, लेकिन 489 मिमी वर्षा ही अब तक रिकॉर्ड की गई है, जो कि सामान्य वर्षापात से 40 प्रतिशत कम है।
इसका किसानी पर सीधा असर पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाकर बैठे हैं। कई जगहों पर तो किसानों ने वैकल्पिक सिंचाई व्यवस्था का सहारा लेना शुरु कर दिया है।
किसान भाई इस तरह से बिचड़े व धान की फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले वर्ष 2022 में भी इस तिथि तक 44 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई थी।