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Ranchi: शराब-बालू के अवैध कारोबार से योगेंद्र तिवारी ने खड़ी की अकूत संपत्ति, ED की जांच में खुल रही पोल

ईडी ने बालू और शराब तस्करी व जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले में गिरफ्तार योगेंद्र तिवारी को शुक्रवार को विशेष अदालत में प्रस्तुत किया। ईडी ने कोर्ट से आग्रह किया कि योगेंद्र तिवारी से 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ करने की अनुमति दी जाय। कोर्ट ने ईडी को आठ दिनों तक योगेंद्र तिवारी से रिमांड पर पूछताछ की अनुमति दी है।

By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sat, 21 Oct 2023 01:44 AM (IST)
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योगेंद्र तिवारी आठ दिनों की रिमांड पर। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। ईडी ने बालू और शराब तस्करी तथा जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले में दर्ज केस में गिरफ्तार किए गए योगेंद्र तिवारी को शुक्रवार को ईडी की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया। ईडी ने आगे की छानबीन के लिए कोर्ट से आग्रह किया कि योगेंद्र तिवारी से 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ करने की अनुमति दी जाय।

कोर्ट ने ईडी को आठ दिनों तक योगेंद्र तिवारी से रिमांड पर पूछताछ की अनुमति दी है। कोर्ट के आदेश पर योगेंद्र तिवारी को न्यायिक हिरासत में होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिया गया है। शनिवार की सुबह ईडी उसे रिमांड पर लेगी और फिर पूछताछ शुरू करेगी।

ईडी ने कोर्ट से क्या कहा ?

ईडी ने रिमांड के लिए कोर्ट में आवेदन कहा कि योगेंद्र तिवारी अवैध तरीके से बालू के भंडारण व खनन, अवैध शराब के कारोबार व अवैध तरीके से जमीन की खरीद-बिक्री में संलिप्त रहा है। इससे उसने भारी मात्रा में अवैध संपत्ति अर्जित की है।

अवैध धंधे से प्राप्त धन का उपयोग उसने 2021 में शराब की थोक बिक्री के लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने में किया। इसमें उसे प्रेम प्रकाश का भी साथ मिला, जो वर्तमान में अवैध खनन व जमीन घोटाले में जेल में बंद है।

बरामद दस्तावेजों से हुआ हेरफेर का खुलासा

योगेंद्र तिवारी के ठिकाने से बरामद दस्तावेज से यह स्पष्ट हुआ है कि योगेंद्र तिवारी ने बालू व शराब का कारोबार अपने सहयोगियों व निजी कर्मियों आदि के नाम पर किया था। उनके नाम पर बैंक खाते भी खुलवाए। इनमें ऐसे कर्मचारी भी थे, जो योगेंद्र तिवारी के शराब दुकान के सेल्समैन थे।

अवैध धंधे से उसे भारी मात्रा में अवैध धन मिला, जिसे उसने अपने सहयोगियों व कर्मियों के उन बैंक खातों में जमा किया, जिनका नियंत्रण उसके पास था। उसने अपने व अपने परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की।

ईडी को जांच में नहीं किया सहयोग

ईडी ने रिमांड आवेदन में बताया है कि अनुसंधान के दौरान योगेंद्र तिवारी ने सूचनाएं छुपाई और जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। इसका खुलासा उसके ठिकाने से जब्त डिजिटल उपकरण की छानबीन से हुआ। उसने ईडी को जांच में सहयोग नहीं किया और ईडी के अनुसंधान को भटकाने की कोशिश की।

2022 में दर्ज हुई थी ईसीआईआर

देवघर के चार कांडों में एक ईसीआईआर दर्ज कर योगेंद्र तिवारी तक पहुंची ईडी ईडी ने देवघर के विभिन्न थानों में दर्ज अलग-अलग चार कांडों को एक साथ शामिल कर 31 मार्च 2022 को ईसीआईआर दर्ज की थी।

यह केस अवैध तरीके से दूसरे की जमीन पर कब्जा व फर्जी दस्तावेज पर खरीद-बिक्री, अवैध बालू कारोबार व अवैध तरीके से शराब की खरीद-बिक्री से संबंधित थे।

12 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी

इस केस में जांच के दौरान 23 अगस्त 2023 को ईडी ने योगेंद्र तिवारी से संबंधित 12 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि योगेंद्र तिवारी ने अपने कर्मियों, सहयोगियों के नाम पर बालू व शराब का कारोबार किया। ऐसे ही निजी व्यक्तियों पर कई अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज हुईं जो अवैध तरीके से बालू बेचने, अवैध शराब के भंडारण व धमकी से संबंधित थे।

राय बंगला की जमीन पर फर्जी तरीके से किया कब्जा

ईडी ने छानबीन में पाया कि देवघर में दर्ज एक प्राथमिकी की शिकायतकर्ता शशि कुमार सिंह की पत्नी किरण सिंह थी। आरोप है कि किरण सिंह से संबंधित देवघर थाना क्षेत्र के श्यामगंज मौजा के कास्टर टाउन, बसूरी स्थित घर को योगेंद्र तिवारी ने फर्जी दस्तावेज पर ढहवा दिया। यह घर राय बंगला के नाम से प्रसिद्ध था।

योगेंद्र तिवारी ने फर्जी तरीके से राय बंगला को अपने मेसर्स सारण अल्कोहल प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स स्वास्तिक ट्रेडर्स के नाम पर खरीदा था। ईडी की छापेमारी में योगेंद्र तिवारी से संबंधित विभिन्न ठिकानों बहुत से अवैध दस्तावेज मिले थे।

दो ईमेल आईडी को भी किया डिलीट

ईडी की छानबीन में यह भी खुलासा हुआ है कि योगेंद्र तिवारी ने अपने दो ईमेल आईडी को हाल ही में डिलीट भी कर दिया। ये ईमेल आईडी उसके व्यवसायिक सक्रियता से संबंधित थे। उसने सबूत मिटाने की कोशिश की है।

उसने ईडी के सामने भी उक्त ईमेल आईडी से खुद को अनभिज्ञ बताया है, जबकि जांच के दौरान उसके चार्टर्ड अकाउंटेंट अजय केशरी व अजय सिन्हा ने ईडी की पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि उपरोक्त ई-मेल आईडी योगेंद्र तिवारी से संबंधित थे।

ईडी ने दो अन्य ईमेल आईडी की भी जांच की, जिससे यह पता चला कि बहुत से फाइल व दस्तावेज कई निजी लोगों व फर्म से संबंधित थे। ये बालू व शराब के व्यवसाय से संबंधित थे।

सभी फाइल व दस्तावेज योगेंद्र तिवारी व उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट अजय केशरी की देखरेख में शेयर किए गए थे। यह साबित करता है कि बालू व शराब के सभी व्यवसाय योगेंद्र तिवारी ही नियंत्रित करता था।

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