Mohan Bhagwat: आरएसएस में केशव बलिराम हेडगेवार के समय से मुख्य अतिथि बन रहीं महिलाएं
RSS News मोहन भागवत ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में महिलाएं शुरू से ही मुख्य अतिथि बनती रही हैं। यह सिलसिला हेडगेवार के समय से चला आ रहा है। यह बात उन्होंने बुधवार को नागपुर में कार्यक्रम के दौरान कही।
By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Wed, 05 Oct 2022 08:10 PM (IST)
रांची, (संजय कुमार)। Rashtriya Swayamsevak Sangh राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से नागपुर में आयोजित विजयादशमी उत्सव-2022 की मुख्य अतिथि पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव थीं। संतोष यादव को मुख्य अतिथि बनाए जाने पर चर्चा शुरू हो गई की संघ में बदलाव शुरू है। संघ के कार्यक्रमों में पहली बार मुख्य अतिथि महिला बनीं है। इस चर्चा को सरसंघचालक ने विजयादशमी उत्सव के संबोधन में उस समय विराम लगा दिया जब उन्होंने कहा कि संघ संस्थापक डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार के समय से ही समाज के अलग अलग क्षेत्रों में कार्यरत प्रमुख महिलाओं को संघ के कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बनाया जाता रहा है। यह पहली बार नहीं हो रहा है।
अनसुईया बाई काले कार्यक्रम में अतिथि थीं
मोहन भागवत ने कहा कि डाक्टर हेडगेवार के समय ही अनसुईया बाई काले संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं। दिसंबर 1934 में संघ की शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि एक महिला थीं। भारतीय महिला परिषद् की अध्यक्ष रहीं राजकुमारी अमृत कौर भी एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रही हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद अकोला शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में भी कुमुद ताई अतिथि थीं, उस समय मैं वहां का प्रचारक था।
महिला और पुरुष का काम परस्पर पूरक
संघ प्रमुख ने कहा कि महिला और पुरुष का काम परस्पर पूरक है। केवल व्यक्ति निर्माण के लिए शाखा लगाने के काम में महिला और पुरुष अलग अलग लगे हैं। डाक्टर हेडगेवार के समय ऐसी परिस्थिति बनी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जहां पुरुषों के लिए शाखा लगाने का काम शुरू किया तो महिलाओं के लिए राष्ट्र सेविका समिति ने काम शुरू की। समाज के अन्य सारे काम महिला और पुरुष मिलकर करते हैं।
लोग कहते थे संघी हो क्या : संतोष यादव आरएसएस का समाज पर क्या प्रभाव है यह पद्मश्री संतोष यादव से सुनने को मिला। मुख्य अतिथि संतोष यादव ने कहा कि बचपन में मेरा व्यवहार देखकर कुछ लोग कहते थे कि क्या तुम संघ हो। तब मैं पूछता था कि यह क्या होता है। उस समय मैं संघ को जानता नहीं था। अब देखकर लगता है कि स़ंघ का कार्य कैसे प्रेरित करने वाला है।
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