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Jharkhand News: झारखंड में सड़क हादसे के बाद गोल्डन ऑवर में अस्पताल नहीं पहुंचते घायल

Jharkhand Road Accident झारखंड में कुल 9 ट्रामा सेंटर और 337 एंबुलेंस है। 72168 घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। फिर भी मौत के आंकड़े बढ़ते गए। व्यवस्था को पटरी पर लाने में पांच वर्ष लग गए। अभी भी गोल्डन आवर में घायल यहां अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Sat, 19 Nov 2022 05:48 PM (IST)
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Jharkhand News: झारखंड में हादसे के बाद घायलाें को समय पर अस्पताल पहुंचाने की जरूरत है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Road Accident in Jharkhand ठीक पांच वर्ष पूर्व नवबंर 2017 में झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई और तब से लेकर अब तक सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए 72168 लोगों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाकर उनकी मदद की गई। शुरुआत में गोल्डन आवर का कंसेप्ट नहीं था लेकिन बाद के दिनों में गोल्डन आवर में मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाने लगा यानी कि दुर्घटना के एक घंटे के अंदर मरीज अस्पतालों में पहुंच चुके थे। व्यवस्था को पटरी पर आने में पांच वर्ष लग गए।

हादसों को लेकर अब झारखंड में बढ़ी है सक्रियता

इन पांच वर्षों में अब जाकर कोशिश शुरू हुई है कि घायलों को दुर्घटना के एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचा दिया जाए। इन कोशिशों का लाभ मिलना अभी शुरू हुआ है। हालांकि, कई बार मरीजों को दूरस्थ स्थानों से सीधे रांची रिम्स भेजा जाता है जिस कारण से समय अधिक लगता है और मरीजों की स्थिति खराब होती है। कभी-कभी मौत का कारण भी यही होता है। झारखंड में वर्षों तक ट्रामा सेंटरों की आवश्यकता को नहीं समझा गया। अब जाकर जब सड़क सुरक्षा को बना विभाग सक्रिय हुआ है और केंद्र ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है तो ट्रामा सेंटरों की संख्या बढ़नी शुरू हुई है। इस वर्ष यह आंकड़ा एक से बढ़कर 9 हो गया है।

झारखंड के 16 जिलों में अभी भी ट्रामा सेंटर नहीं

इसके बावजूद ट्रामा सेंटरों की औसत दूरी कम नहीं हो रही है। जहां हर जिले में एक ट्रामा सेंटर होने की आवश्यकता है, वहीं 16 जिलों में इसका कहीं अता-पता नहीं है। 8 जिलों में 9 ट्रामा सेंटर हैं जहां गंभीर रूप से घायल हुए लोगों की चिकित्सा की जाती है। दरअसल, शुरुआती दिनों में ट्रामा सेंटर की आवश्यकता को समझने में देरी हुई और इसको महत्व नहीं मिलने के कारण ऐसे केंद्रों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकी।

अब आसपास के अस्पतालों में भेजे जा रहे घायल

2017 में मुफ्त एंबुलेंस सेवा की शुरुआत के वक्त इस बात की कोई तवज्जो नहीं देता था कि गोल्डन आवर में घायलों को अस्पताल पहुंचाना है लेकिन बाद के दिनों में इसे समझा गया और तमाम घायलों को सीधे रांची रिम्स भेजने की बजाय आसपास के अस्पतालों में भेजा जाने लगा। इसके साथ ही प्राइवेट अस्पतालों को भी सक्रिय किया गया जिससे मरीजों को मदद मिलनी शुरू हुई है लेकिन अभी भी स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती है। हां, इतना तय है कि व्यवस्था पटरी पर धीरे-धीरे आ रही है। राज्य में 108 एंबुलेंस की संख्या 337 है।

सड़क दुर्घटना में अस्पताल पहुंचाए गए घायल

  • बोकारो - 3781
  • चतरा - 1986
  • देवघर - 2498
  • धनबाद - 3446
  • दुमका - 4135
  • पूर्वी सिंहभूम - 4285
  • गढ़वा - 3021
  • गिरिडीह - 5759
  • गोड्डा - 1995
  • गुमला - 3620
  • हजारीबाग - 4933
  • जामताड़ा - 1499
  • खूंटी - 2075
  • कोडरमा - 1027
  • लातेहार - 921
  • लोहरदगा - 1065
  • पाकुड़ - 1576
  • पलामू - 2836
  • रामगढ़ - 3202
  • रांची - 9360
  • साहिबगंज - 1192
  • सरायकेला - 2941
  • सिमडेगा - 2020
  • पश्चिम सिंहभूम- 2995
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