Road Safety With Jagran: रांची की सड़कों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन
Road Safety With Jagran सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सड़क सुरक्षा को लेकर दो दर्जन से अधिक दिशा निर्देश दिए हैं लेकिन उनका अनुपालन झारखंड की राजधानी रांची में नहीं हो रहा है। यहीं कारण है कि रांची में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay KumarUpdated: Tue, 22 Nov 2022 07:40 AM (IST)
रांची, जासं। Road Safety With Jagran सड़क सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही दो दर्जन से अधिक दिशा निर्देश दिए हैं, लेकिन उनका अनुपालन नहीं हो रहा है। अभी भी स्कूली बच्चे बिना हेलमेट, तीन लोगों के साथ तेज रफ्तार बाइक चलाते दिख जाएंगे। मोटरयान एक्ट में हाल में हुए संशोधन में इस पर रोकथाम के लिए कड़े प्रविधान किए गए हैं। अगर नाबालिग स्कूली बच्चे बाइक चलाते हुए पकड़े जाते हैं, तो उनके माता-पिता को छह माह की जेल हो सकती है। लेकिन जिले में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। इसकी वजह जिला सुरक्षा कमेटी की समय से बैठक न होना। साथ ही जिले में ट्रैफिक एसपी का पद खाली होना है। उक्त दोनों पर इस कानून के लागू कराने के साथ-साथ क्रियान्वयन कराने की भी जिम्मेदारी है।
माता-पिता की ज्यादा जिम्मेदारी
नाबालिग बच्चों को बाइक नहीं देना सबसे पहले माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है। लेकिन सबकुछ जानते हुए भी स्कूली बच्चों को बाइक मिल जाती है। इनको तेज रफ्तार वाली बाइक पसंद भी आती है। लिहाजा कभी-कभी तेज रफ्तार उनकी जिंदगी समाप्त कर देती है। इसको देखते हुए मोटरयान एक्ट में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। कानून में यह माना गया कि इसके लिए सबसे पहले जिम्मेदार बच्चों के माता-पिता होंगे। एक्ट में संशोधन के पीछे यही मंशा थी कि कम से कम नाबालिग बच्चों को तेज रफ्तार बाइक चलाने को मिले। लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं होने की वजह से इसका कोई असर नहीं दिखता है।
डेढ़ साल से ट्रैफिक एसपी का पद खाली
मोटरयान एक्ट में निहित प्रविधानों के अनुपालन की जिम्मेदारी जिला परिवहन पदाधिकारी और ट्रैफिक एसपी पर है। लेकिन रांची में करीब डेढ़ साल से ट्रैफिक एसपी का पद खाली है। इसकी वजह से ट्रैफिक नियमों और सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा-निर्देश का अनुपालन नहीं हो पा रहा है। उक्त संशोधन के बाद हैदराबाद पुलिस ने 45 माता-पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। क्योंकि इन्होंने अपने नाबालिग बच्चों को बाइक चलाने की छूट प्रदान की थी। जांच के दौरान नाबालिक बच्चे बाइक चलाते पाए गए और एक्ट के अनुसार उनके माता-पिता को जेल ही हवा खानी पड़ी।जिला सुरक्षा समिति के अध्यक्ष होते हैं डीसी
सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसों में लोगों की मौत के बाद निगरानी के लिए जिलास्तर पर सुरक्षा कमेटी बनाई गई। पहले कमेटी के अध्यक्ष सांसद होते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने मार्च माह में इसमें बदलाव किया है। अब उक्त कमेटी के अध्यक्ष जिला अधिकारी (डीएम) या उपायुक्त (डीसी) होते। इसमें एसपी, सिविल सर्जन, पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता सहित दस सदस्य होंगे। जिन्हें कई जिम्मेदारियां दी गई है। कमेटी की निर्धारित अवधि पर बैठक नहीं होने की वजह से कानून का अनुपालन नहीं हो पा रहा है।
जिला सुरक्षा समिति का कार्य
जिले में जिन स्थानों पर दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं, वहां का मौका मुआयना कर दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाना। - कारणों का उपाय ढूंढने विश्लेषण करना। - सड़क हादसे रोकने के लिए प्रभारी कार्रवाई करना। जैसे सड़क पर ब्रेकर, स्टॉपर, गड्ढों को भरना। - जिला स्तरीय रोड सेफ्टी सेल के साथ मिलकर थाना स्तर सेल के सदस्य सामूहिक रूप से विश्लेषण करेंगे।- दुर्घटना होने पर मौके का सर्वेक्षण, केस स्टडी करना, मौके का वीडियो और फोटो लेकर दुर्घटनाएं रोकने के उपाय करना। - जिले में यातायात शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना। थाना स्तर और जिला स्तर पर बनी सेल हर महीने जागरूकता अभियान चलाना।- प्रत्येक माह सड़क हादसों में की जानकारी सार्वजनिक करना।पावरफुल बाइक नाबालिगों का जूनून
इसमें कोई शक नहीं है कि तेज रफ्तार बाइक में थोड़ी भी चूक जानलेवा साबित होती है। कई बार नाबालिग तेज रफ्तार के रोमांच में अपनी जान गवां बैठते हैं। राजधानी में भी कई घटनाएं हुए हैं। कई डिवाइडर से टकरा गए हैं, तो कई ने वाहन को पीछे से ठोक दिया है।रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डा सिद्धार्थ सिन्हा ने बताया कि आजकल भागम-भाग की तेजी में हर बच्चे के पास पावरफुल बाइक है। किशोर अपने साथियों को प्रभावित करने के लिए बाइक रेसिंग और रैश ड्राइविंग में शामिल होते हैं। वे कानून का उल्लंघन करके स्वतंत्र महसूस करते हैं। इसी भावना से कम उम्र के बच्चों को हेलमेट और सीट बेल्ट नहीं लगाने के लिए प्रेरित करती है। अधिकांश यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं।
कई बार इंटरनेट मीडिया पर प्रसिद्ध हासिल करने के लिए बच्चे तेज बाइक चलाने के साथ-साथ स्टंट करते हैं। इसकी रील बनाकर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते हैं। रांची में कई बाइकर गैंग बन गए हैं, जो पतरातू घाटी में स्टंट करते हैं। लेकिन उनपर रोक लगाने वाले जिम्मेदार पद रिक्त हैं या वे इस ओर ध्यान ही नहीं देते हैं।इस पर लगाम लगाने के लिए सबसे पहले स्कूलों में बच्चों के साथ मनोचिकित्सक, ट्रैफिक पुलिस और एनजीओ की मदद से जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। इसमें बेहतर परिणाम के लिए माता-पिता और बाइक चालक को संवेदनशील होना पड़ेगा और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन के मामले में दंडित किया जाना चाहिए।
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