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'झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की बनाई जा रही थी भूमिका' हेमंत सोरेन की पार्टी ने लगाए गंभीर आरोप; कह दी ये बात

Jharkhand News झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आरोप लगाया कि शनिवार को सीएम आवास में हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ के 500 से अधिक जवान मुख्यमंत्री आवास में बगैर प्रशासनिक अनुमति के प्रवेश करना चाहते थे। साथ ही वे झामुमो के कार्यकर्ताओं से उलझ रहे थे। इसमें सीआरपीएफ के आइजी समेत कमांडेट और अन्य वरीय अधिकारियों की भूमिका है।

By Pradeep singh Edited By: Shashank ShekharUpdated: Sun, 21 Jan 2024 06:49 PM (IST)
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'झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की बनाई जा रही थी भूमिका' हेमंत सोरेन की पार्टी ने लगाए गंभीर आरोप;
राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आरोप लगाया है कि शनिवार को सीएम आवास में ईडी की पूछताछ के दौरान केंद्रीय बल सीआरपीएफ के 500 से अधिक जवान मुख्यमंत्री आवास में बगैर प्रशासनिक अनुमति के प्रवेश करना चाहते थे। वे झामुमो के कार्यकर्ताओं से उलझ रहे थे। इसमें सीआरपीएफ के आइजी समेत कमांडेट और अन्य वरीय अधिकारियों की भूमिका है।

मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय और सुप्रियो भट्टाचार्य ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि यदि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने संयम का परिचय नहीं दिया होता तो हिंसक परिस्थिति उत्पन्न हो सकती थी। केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण रवैये के विरुद्ध शनिवार को आम लोगों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू की थी।

झामुमो ने लगाया ये आरोप

अचानक सीआरपीएफ के सैकड़ों (500 से अधिक) जवान बसों में भरकर बगैर अनुमति या सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने का प्रयास करने लगे। साथ ही वे झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने भी लगे। झामुमो नेताओं के मुताबिक यह सूचना मिली है कि सीआरपीएफ का यह कृत्य एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें सीआरपीएफ के आइजी समेत अन्य वरीय अधिकारी शामिल थे।

वे चाहते थे कि सीआरपीएफ एवं प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो जाए और प्रदर्शनकारी उग्र होकर हमला कर दें ताकि राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाकर राष्ट्रपति शासन की भूमिका तैयार की जा सके। सीआरपीएफ कभी जिला प्रशासन के अनुरोध अथवा अनुमति के किसी भी प्रकार के विधि-व्यवस्था का कार्य नहीं कर सकती है।

इससे स्पष्ट है कि सीआरपीएफ ने यह केंद्र सरकार के इशारे पर किया है। यह राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास और संघीय ढांचे पर कायराना हमला है। केंद्रीय बलों का यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है। झामुमो ने पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई एवं पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

ईडी के लिए तैनात किए 2000 जवान

झामुमो महासचिव विनोद पांडेय एवं सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 20 जनवरी को मुख्यमंत्री का बयान दर्ज करने के पूर्व ईडी ने सुरक्षा का अनुरोध मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से किया था। ईडी के अनुरोध पर रांची जिला प्रशासन ने अधिकारियों, उनके परिजनों एवं ईडी कार्यालय की सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था संभालने के लिए 2000 जवान तैनात किए।

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