Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sal Tree: बहु उपयोगी है सखुआ का वृक्ष, आर्थिक लाभ के साथ कई बीमारियों में कारगर; जानें

Sal Tree is Very Useful Jharkhand Chatra News इस मौसम में सखुआ वृक्षों से सरई झर रहा है। पतझड़ के बाद जब इसके वृक्षों में नए पत्ते आते हैं तब उसके साथ सुंदर श्वेत फूल भी आते हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Sun, 06 Jun 2021 12:47 PM (IST)
Hero Image
Sal Tree is Very Useful, Jharkhand Chatra News जून-जुलाई के महीनों में यह वृक्ष फलों से लद जाता है।

गिद्धौर (चतरा), [लक्ष्मण दांगी]। इस समय जंगली क्षेत्रों में सखुआ के वृक्षों में बहार आई हुई है। वृक्ष सरई से लदे हैं और निरंतर झर रहे हैं। स्थानीय बाजार में सरई 30 से 40 रुपये किलो बिक रहा है। वन्य क्षेत्र में बसे ग्रामीण पूरा दिन उनके वृक्षों के नीचे जमे हैं। ग्रामीण बड़े जतन से सरई को चुनकर इकट्ठा कर रहे हैं। सरई को धूप में सुखाया जाएगा, फिर तोड़कर उसके बीज निकाले जाएंगे। तब उसे बाजार ले जाया जाएगा। वहां व्यापारी हाथों हाथ उसकी खरीदारी करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में सखुआ के फल को सरई कहते हैं। पतझड़ के बाद जब इसके वृक्षों में नए पत्ते आते हैं तब उसके साथ सुंदर श्वेत फूल भी आते हैं। जून-जुलाई के महीनों में यह वृक्ष फलों से लद जाता है और झरने लगता है। चतरा जिले में सखुआ वृक्ष के बहुतायत मात्रा में हैं जो बड़े पैमाने में सरई का उत्पादन करते हैं।

बहु उपयोगी है सखुआ का वृक्ष

सखुआ का वृक्ष बहु उपयोगी है। इसकी लकड़ियां कठोर और मजबूत होती है। इससे दरवाजे, खिड़की और अन्य फर्नीचर का निर्माण होता है। इसके पत्तों से पत्ता-प्लेट और कोमल डंठल का दातून में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसके फल सरई का उपयोग खाद्य तेलों और कॉस्मेटिक सामग्री के निर्माण में किया जाता है। सरई से श्वास, एनीमिया, त्वचा, डायबिटीज, अल्सर या घाव जैसी बीमारी की औषधि बनाई जाती है।

आर्थिक उपार्जन का स्रोत है सरई

वन क्षेत्र में बसे ग्रामीणों के लिए सरई आर्थिक उपार्जन का स्रोत है। ग्रामीण इसे बेचकर अच्छी कमाई करते हैं और अपना जीविकोपार्जन करते हैं। तिलैया के गौतम दांगी व आशा देवी ने बताया कि जंगल ग्रामीणों के लिए वरदान है। इसके फल, फूल, जड़ी-बूटी को बेचकर वनवासी आत्मनिर्भर हैं। महुआ, करंज, सरई और जंगली फल-फूल को बेचकर लोग सालों भर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।

'वनों में अकूत वन्य संपदा हैं। यहां के वन बेशकीमती फल-फूल और जड़ी-बूटियों से भरे पड़े हैं, जो ग्रामीणों के आर्थिक उपार्जन का बड़ा स्त्रोत है। ग्रामीण वनों को बगैर हानि पहुंचाए इनका लाभ उठाएं और समृद्ध बनें। -प्रभात कुमार, वन क्षेत्र पदाधिकारी, गिद्धौर।