ग्रामीणों के हौसले को सलाम, पहाड़ का सीना चीर कर बना रहे सड़क
रासूड़ीसेरेंगे के ग्रामीण पहाड़ काट कर दो किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में जुटे हैं।
By Sachin MishraEdited By: Updated: Sun, 26 Nov 2017 04:52 PM (IST)
रणविजय सिंह, रांची। बिहार में गया के दशरथ मांझी के रास्ते अड़की प्रखंड (खूंटी, झारखंड) के रासूड़ीसेरेंगे के ग्रामीण चल पड़े हैं। दशरथ मांझी ने 80 के दशक में पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था। उसी तर्ज पर रासूड़ीसेरेंगे के ग्रामीण पहाड़ काट कर दो किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में जुट गए हैं, ताकि जरूरतमंद ग्रामीण सरलता से मुख्य सड़क तक पहुंच सकें।
ग्रामीण कहते हैं कि गांव में सड़क निर्माण को लेकर उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ मुंडा, सांसद कडि़या मुंडा, विधायक विकास कुमार मुंडा तथा कई पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ बीडीओ को आवेदन दिया। अपनी समस्याओं से अवगत कराया। कोई लाभ नहीं हुआ। निराश होने के बदले ग्रामीणों ने बैठक कर खुद कुछ करने का फैसला लिया। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क मनरेगा योजना के तहत बननी थी, लेकिन बात कागज पर ही सिमटकर रह गई।ग्रामीण कहते हैं कि आदिवासी बहुल इस गांव में वोट लेने के समय नेताओं ने बहुत सब्जबाग दिखाए, लेकिन चुनाव बाद किसी का दर्शन नहीं हुआ। ग्रामीणों के अनुसार यहां के लोगों को सड़क के अभाव में सबसे ज्यादा परेशानी अपने किसी परिजन के बीमार पड़ने पर होती है। पहाड़ की पगडंडी पर चलते हुए तमाड़-खूंटी पथ पर जारंगा के समीप निकलते हैं, कई बार विलंब से अस्पताल पहुंचने पर बीमार की मौत हो गई है।
एक वर्ष से थोड़ा-थोड़ा सड़क बना रहे हैं ग्रामीणरासूड़ीसेरेंगे गांव के ग्रामीण लगभग एक वर्ष से सड़क निर्माण के काम में जुटे हुए हैं। गांव के लगभग 40 से 50 लोग थोड़ा-थोड़ा पहाड़ काटकर सड़क बना रहे हैं। इस काम में गांव की महिलाएं भी उन्हें सहयोग दे रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क बनाने के बाद उन्हें प्रखंड मुख्यालय व जिला मुख्यालय पहुंचने में आसानी होगी। यह सड़क सीधे जारंगा मोड़ से जोड़ेगी। सड़क बनने के बाद जारंगा पहुंचने में ग्रामीणों को लगभग आधे घंटे की बचत होगी।
ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से लगभग एक किलोमीटर तक चलने लायक सड़क बना दी है। स्थानीय निवासी मदन मुंडा का कहना है कि अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को बार-बार समस्याओं से अवगत कराने के बाद भी कुछ काम नहीं हुआ, तो हमने खुद ही सड़क निर्माण करने का बीड़ा उठाया है। उधर बीडीओ, अड़की रंजीता टोप्पो का कहना है कि रासूड़ीसेरेंगे के ग्रामीणों ने आवेदन दिया है। उसे स्वीकृति के लिए वरीय अधिकारियों के पास भेज दिया गया है। पूर्व बीडीओ के समय में यहां पर मनरेगा से सड़क दी गई थी, जो अधूरी रह गई।यह भी पढ़ेंः जानिए, क्यों मुकदमों में उलझी है झारखंड सरकार
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