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सरना धर्म कोड के लिए निकाला मशाल जुलूस

केंद्रीय सरना समिति अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान के संयुक्त तत्वाधान में सरना कोड लागू करने की मांग को लेकर 31 जनवरी को रेल-सड़क चक्का जाम किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Jan 2021 07:50 AM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2021 07:50 AM (IST)
सरना धर्म कोड के लिए निकाला मशाल जुलूस

जासं, रांची : केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान के संयुक्त तत्वाधान में सरना कोड लागू करने की मांग को लेकर 31 जनवरी को रेल-सड़क चक्का जाम किया जाएगा। शनिवार को इसे लेकर अलबर्ट एक्का चौक पर मशाल जुलूस निकाला गया। मौके पर केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की, ललित कच्छप, भुनेश्वर लोहरा, संजय तिर्की सहित अन्य थे। स्थानीय नीति को परिभाषित कर सरकार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे

जागरण संवाददाता रांची : आदिवासी छात्र संघ की बैठक केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द से स्थानीय नीति को परिभाषित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे। सह संयोजक डा. जलेश्वर भगत ने कहा कि राज्य सरकार जाति प्रमाणपत्र में सरना धर्म कोड को शामिल करे। सचिव प्रदीप मुंडा ने कहा कि पिछली सरकार जब कुर्मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का प्रयास कर रही थी, तब आदिवासी समाज के आंदोलन के कारण राज्य सरकार को पीछे हटना पड़ा था। बैठक में केंद्रीय कमेटी का विस्तार किया गया। रघुनाथ हांसदा को केंद्रीय उपाध्यक्ष, प्रवीण कुमार को केंद्रीय संगठन सचिव, सूरज कुमार खलखो को केंद्रीय सदस्य, सुमित उरांव को केंद्रीय मीडिया प्रभारी व अजय टोप्पो को हजारीबाग जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बैठक में रांची जिला अध्यक्ष प्रभात तिर्की सहित सभी जिलों के जिलाध्यक्ष शामिल हुए। यादव समाज का वार्षिकोत्सव आज

जासं, रांची : यादव समाज का वार्षिकोत्सव 31 जनवरी को आयोजित की जा रही है। श्रीकृष्ण विकास परिषद झारखंड के मुख्य संरक्षक कैलाश यादव ने बताया कि झारखंड विधानसभा के सभागार रसियन हॉस्टल सेक्टर-2 में सुबह 11 बजे समारोह होगा। यदुवंशी रीति रिवाज के अनुसार मुख्य अतिथि गौमाता की पूजा करेंगे। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश से विधायक शिवपाल सिंह यादव, विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद साधु यादव, पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव आदि होंगे। कैलाश यादव ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यदुवंशी रीति रिवाज को अपने आने वाली पीढि़यों तक पहुंचाना है।


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