Jharkhand News: सरकारी कार्यालयों में कोर्ट केस की भरमार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग करेगा 'लॉ एक्जीक्यूटिव' के पद सृजित
राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों और कार्यालयों खासकर के शिक्षा विभाग के कार्यालयों में कोर्ट केस की भरमार है और राज्य के अलग-अलग जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला शिक्षा अधीक्षकों के कार्यालयों में 2444 कोर्ट केस लंबित पड़े हैं। इसके अलावा विभाग में राज्य स्तर पर लंबित हैं। इसको लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सभी जिलों में लॉ एक्जीक्यूटिव के पद सृजित करेगा।
नीरज अम्बष्ठ, रांची। राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों एवं कार्यालयों खासकर शिक्षा विभाग के कार्यालयों में कोर्ट केस की भरमार है। स्थिति यह है कि राज्य के विभिन्न जिलों के जिलॉ शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिलॉ शिक्षा अधीक्षकों के कार्यालयों में 2,444 कोर्ट केस लंबित हैं।
विभाग में राज्य स्तर पर लंबित मामले अलग से हैं। अब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इन मामलों में कमी लॉने के लिए सभी जिलों में लॉ एक्जीक्यूटिव के पद सृजन करने का निर्णय लिया है।
लॉ एक्जीक्यूटीव को 35 पदों को मिलेगी स्वीकृति
मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की राज्य कार्यकारिणी की 12 मार्च को हुई बैठक में राज्य के विभिन्न जिलों में लॉ एक्जीक्यूटिव के कुल 35 पदों के सृजन के प्रस्ताव स्वीकृति मिली है। इसके तहत इन पदों पर नियुक्ति अनुबंध पर की जाएगी। प्रत्येक लॉ एक्जीक्यूटिव को 40,400 रुपये मासिक मानदेय मिलेगा।इस तरह, इनके मानदेय पर प्रतिवर्ष एक करोड़, 69 लॉख 68 हजार रुपये खर्च होंगे। यह राशि केंद्रीय योजना समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रबंध शीर्ष में मिली राशि से वहन की जाएगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस मद में राज्य को कुल 105 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं।
राज्य सरकार पर नहीं पडे़गा कोई अतिरिक्त बोझ
इस तरह, लॉ एक्जीक्यूटिव की नियुक्ति से राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। दरअसल, राज्य स्तर पर छह लॉ एक्जीक्यूटिव के पद पहले से ही सृजित हैं। ये राज्य स्तरीय वादों के निष्पादन में अपनी भूमिका निभाते हैं।झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा जिलों में इस पद के सृजन के प्रस्ताव में कहा गया कि राज्य स्तर पर लॉ एक्जीक्यूटिव बहाल करने से कोर्ट मामले में काफी कमी आई है। यह भी कहा गया कि जिलों में ये पद सृजित होने से जिलॉ शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला शिक्षा अधीक्षकों पर अतिरिक्त भार कम हो जाएगा। इससे वे शिक्षा में बेहतरी पर अपना फोकस कर सकेंगे।
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