JPSC News: सातवीं जेपीएससी परीक्षा विवाद, झारखंड हाई कोर्ट ने आयोग से मांगा जवाब, चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई
JPSC News सातवीं जेपीएएसी परीक्षा के परिमाण के बाद कट आफ मार्क्स व उत्तर पुस्तिका नहीं देने के मामले की झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग से इस संबंध में जवाब मांगा है। क्षैतिज आरक्षण नहीं देने का मुद्दा उठाया गया है।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 08:45 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट जस्टिस डा एसएन पाठक की अदालत में सातवीं जेपीएससी परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के मार्क्स स्टेटमेंट एवं माडल उत्तर पुस्तिका नहीं दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में जेपीएससी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इस संबंध में प्रार्थी करण सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
प्रार्थी का सवाल- वेबसाइट पर परिणाम क्यों नहीं जारी हुआसुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अमृतांश वत्स ने कोर्ट को बताया कि सातवीं जेपीएससी परीक्षा का अंतिम परिणाम 31 मई 2022 को जारी हुआ। लेकिन अबतक न तो कट आफ मार्क्स जारी हुआ और न ही अभ्यर्थियों को मिले मार्क्स की जानकारी दी गई है। इसके अलावा न तो प्रश्नों का उत्तर जारी किया गया है और न अभ्यर्थियों को अपनी उत्तरपुस्तिका देखने का मौका मिला।
जेपीएससी ने परिणाम जारी कर चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा राज्य सरकार को भेज दिया है। लेकिन अभी तक चयनित अभ्यर्थियों को भी इसकी जानकारी नहीं है कि आखिर उन्हें कितने अंक मिले है। जबकि जेपीएससी वर्ष 2015 में एक आदेश जार कर कहा था कि जेपीएससी के वेबसाइट पर रिजल्ट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों का नंबर, कट आफ मार्क्स, प्रश्नों का उत्तर और सभी की उत्तर पुस्तिका जारी की जाएगी। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है। इस पर अदालत ने जेपीएससी को जवाब देने का निर्देश दिया है।
दिव्यांगों को आरक्षण नहीं देने के मामले में मांगा जवाब
जस्टिस डा एसएन पाठक की अदालत में सातवीं जेपीएससी परीक्षा में दिव्यांगों को आरक्षण नहीं दिए जाने के मामले को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में अदालत ने जेपीएससी से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इस संबंध में सदानंद सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि 252 पदों पर क्षैतिज आरक्षण के लिए 18 सीट आरक्षित थी। इसमें सात सीट दिव्यांगों के लिए थी। मात्र तीन दिव्यांग का चयन किया गया है। परिणाम देखने से पता चलता है कि शेष चार सीटों अन्य श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। जबकि वर्ष 2018 में कार्मिक विभाग की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई थी।इसमें कहा गया है कि अगर दिव्यांग कोटा की सीट रिक्त रह जाती है, तो उक्त सीट पर किसी अन्य श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सकता है। इसे अगले साल नियुक्ति के लिए रिक्त ही रखा जाएगा। प्रार्थी साक्षात्कार तक पहुंचा था लेकिन उसे आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है। इस मामले में जेपीएससी की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई।
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