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शिबू सोरेन का दावा: रेलवे स्टेशनों से मिटाया गया बांग्ला में लिखा नाम, जनभावनाओं का अपमान करने का लगाया आरोप

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र लिखकर दावा किया है कि झारखंड में अवस्थित कई रेलवे स्टेशनों से बांग्ला में लिखा गया स्टेशन का नाम मिटाया जा रहा है। इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी प्रेषित करते हुए आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया है।

By Pradeep singhEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 29 Jun 2023 08:43 PM (IST)
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झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा, बताया जनभावनाओं का अपमान

राज्य ब्यूरो, रांची: झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र लिखकर दावा किया है कि झारखंड में अवस्थित कई रेलवे स्टेशनों से बांग्ला में लिखे गये स्टेशनों के नाम को मिटाया जा रहा है। रेलवे प्रशासन को इसे तत्काल रोकना चाहिए।

उन्होंने पक्ष में लिखा है कि झारखंड 1912 तक बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा था। रेलवे के अस्तित्व में आने के बाद सभी रेलवे स्टेशनों पर अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला और कुछ स्थानों पर ओड़िया भाषा में नाम अंकित किया जाता है। संताली भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद इस भाषा का भी प्रयोग शुरू हुआ।

संताल परगना, मानभूम, सिंहभूम, धालभूम एवं पंच परगना क्षेत्र में बांग्ला भाषी की बड़ी तादाद है। राज्य के बड़े हिस्से में यह भाषा बोली जाती है। पाकुड़, बरहरवा, जामताड़ा, मिहिजाम, मधुपुर, जसीडीह, मैथन, कुमारधुबी, चिरकुंडा, कालूबथान, धनबाद, गोमो, पारसनाथ, हजारीबाग रोड, मुरी, रांची, हटिया, चाकुलिया, गालूडीह, राखा माइंस, टाटानगर समेत अन्य स्टेशनों पर पूर्व में बांग्ला में भी नाम अंकित था।

बीते कुछ सालों में बांग्ला नामों को स्टेशन से मिटा दिया गया। यह जनभावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने रेल मंत्री से आग्रह किया है कि बांग्ला भाषी बहुल क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए फिर से नाम अंकित किया जाए। जनजातीय भाषाओं में भी स्टेशनों के नाम लिखे जाएं। उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी प्रेषित करते हुए आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया है।

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