धूमधाम से मनाई गई मनसा पूजा
सिल्ली : सिल्ली-मुरी एवं आसपास के क्षेत्रों में मां मनसा की पूजा अर्चना की गई। इसके लिए श्रद्धालु बुध
सिल्ली : सिल्ली-मुरी एवं आसपास के क्षेत्रों में मां मनसा की पूजा अर्चना की गई। इसके लिए श्रद्धालु बुधवार प्रात: से ही उपवास रखा एवं शाम को पूजा के लिए कलश स्थापित कर देर रात मा मनसा की पूजा अर्चना की गई एवं कई श्रद्धालुओं द्वारा बत्तख की बली दी गई। इस संबंध में पंडित डॉ. मधुसुदन मिश्रा ने बताया पूर्व में आदिवासी देवी मनसा का पूजन निम्न वर्ग के लोग करते थे। लेकिन, धीरे धीरे इनकी मान्यता भारत में फैल गई। उनके मंदिर की पूजा मूल रूप से आदिवासी एवं अन्य दैवीय मंदिरों के साथ किया गया। प्राचीन ग्रीस में भी मनसा नामक देवी का प्रसंग आता है। इन्हें कश्यप की पुत्री तथा नागमाता के रूप में माना जाता था तथा साथ ही शिवपुत्री व विष की देवी के रूप में भी माना जाता है। वहीं, सदी के बाद इन्हें शिव के परिवार की तरह मंदिरो में आत्मसात किया गया। यह मान्यता भी प्रचलित है कि इन्होंने शिव को हलाहल विष के पान के बाद बचाया था परंतु यह भी कहा जाता है कि मनसा का जन्म समुद्र मंथन के बाद हुआ। विष की देवी के रूप में इनकी पूजा विशेषकर बंगाल के क्षेत्र में होती थी और अंत में शैव मुख्यधारा तथा हिंदू धर्म के ब्राह्मण परंपरा में इन्हें मान लिया गया। इनके सात नामों के जाप से सर्प भय नहीं रहता है।