हाईटेक होते-होते रह गया झारखंड मुक्ति मोर्चा
मिस कॉल से मेंबर बनाने तक की तकनीक झामुमो ने अपनाई, लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो चुकी है।
By Sachin MishraEdited By: Updated: Wed, 31 May 2017 11:44 AM (IST)
प्रदीप सिंह, रांची। अन्य दलों की देखादेखी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी कभी परंपरावादी पार्टी का चोला उतारने की कोशिश की थी, लेकिन उसकी यह सारी कवायद धरी की धरी रह गई। 2014 में सत्ता में रहते पार्टी ने धूमधाम से इसकी शुरुआत की थी।
हेल्पलाइन नंबर से लेकर मिस कॉल से मेंबर बनाने तक की तकनीक झामुमो ने अपनाई, लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो चुकी है। पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर 2014 के आगे की प्रेस विज्ञप्ति तक अपलोड नहीं है।नववर्ष का अंतिम संदेश भी 2015 का है। हेल्पलाइन नंबर यथावत है, लेकिन अब यह कोई जवाब नहीं देता। कुल मिलाकर राज्य की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी की तमाम ऑनलाइन गतिविधियां अरसे से थमी हैं। जबकि हाईटेक होने की इस प्रक्रिया को शुरुआत में अच्छा रिस्पांस मिला था। मिस्ड काल के जरिये एक लाख से ज्यादा नए सदस्य पार्टी से जुड़े थे और गतिविधियों का समर्थन किया था। इसी प्रकार फेसबुक पेज को लाइक करने वालों की संख्या भी हजारों में थी।
हेल्पलाइन नंबर पर भी 80 हजार से ज्यादा फोन का रिकॉर्ड है। 2014 में तमाम ऑनलाइन गतिविधियों की धूमधाम से शुरुआत करने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा की तब राज्य में अपनी सरकार थी। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल भी इस सरकार में शामिल थे। इस दौरान मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने झामुमो को नए ढर्रे में ढालने की कोशिश की।2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने संसाधनों के मामले में राष्ट्रीय दलों को भी कड़ी टक्कर दी थी। हेमंत सोरेन ने अपने 14 माह के कामकाज को आधार बनाते हुए बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाया था। इसका परिणाम यह हुआ कि मोदी लहर में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सीटें बढ़ीं।
केजरीवाल से प्रभावित रहे हैं हेमंतझारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन आम आदमी पार्टी के अगुवा अरविंद केजरीवाल से प्रभावित रहे हैं। केजरीवाल ने भी अपनी पार्टी को नई तकनीक के बल पर परवान चढ़ाया था।यह भी पढ़ेंः नए सिरे से रणनीति तय करेगा झामुमो, तालमेल पर भी बढ़ेगी बातयह भी पढ़ेंः झामुमो बनेगा विपक्षी महागठबंधन की धुरी, कोशिशें हुई तेज
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